शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाना चाहिए या नहीं (पूरी जानकारी)

शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाने के कई महत्व बताए गए हैं. हमारे शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि अगर घर में कोई प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग है तो हमें उस पर घर में बनी हर चीज को सबसे पहले अर्पण करना चाहिए. उसके बाद भोजन के रूप में उसे ग्रहण करना चाहिए.

भगवान के ऊपर प्रसाद चढ़ाने का बहुत महत्व होता है. भगवान को किसी भी चीज की कमी नहीं होती और वह हमारे चढ़ाए गए प्रसाद के भूखे भी नहीं होते पर भक्तों को सच्चे भाव से भगवान को प्रसाद अवश्य अर्पण करना चाहिए.

घर में पकने वाली हर चीज में भगवान का अंश होता है. हमारे रसोई घर में जो भी चीज बनती है हमें वह चीज पहले भगवान को अर्पण करनी चाहिए उसके बाद स्वयं ग्रहण करना चाहिए.

कई लोगों के मन में सवाल उत्पन्न होता है कि क्या शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को हमें ग्रहण करना चाहिए या नहीं. आज मैं इस आर्टिकल में आपको इसी बारे में जानकारी दूंगा. इसलिए इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

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शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाना चाहिए या नहीं

आजकल के समय में प्रत्येक स्थान में अलग-अलग धातुओं से बनी शिवलिंग को पूजा जाता है. जैसे कहीं चीनी मिट्टी के शिवलिंग को पूजा जाता है तो कहीं नर्मदेश्वर यानी वह पत्थर जो नर्मदा नदी से निकला हो उसको पूजा जाता है.

शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाना चाहिए या नहीं
शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाना चाहिए या नहीं

शिव पुराण के अनुसार मिट्टी से बनी, पत्थर से बनी या चीनी मिट्टी से बनी शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद अवश्य ही हमें नहीं खाना चाहिए. इन धातुओं से बने शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चड़ेश्वर का अंश माना जाता है.

कई लोगों के मन में ऐसा विचार आ रहा होगा कि क्या हम शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खा ही नहीं सकते? ऐसा बिल्कुल नहीं है आप उस शिवलिंग का प्रसाद खा सकते हैं जो या तो नर्मदेश्वर पत्थर से बनी हो या पारद से बनी हो. इनसे बनी शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को चंडेश्वर का अंश नहीं माना जाता है.

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शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाने से जुड़ी हुई कथा

शिवपुराण की कथा के अनुसार चंडेश्वर नाम का एक गण शिव जी के मुख से प्रकट हुआ. वह शिव की भूत प्रेतों की टोली का प्रधान था.

शिव पुराण में ऐसा कथन है कि जो भी प्रसाद भक्तों के द्वारा मिट्टी की शिवलिंग, पत्थर की शिवलिंग या चीनी मिट्टी की शिवलिंग पर अर्पण किया जाता है उस प्रसाद को चंडेश्वर का अंश माना जाता है.

अगर हम ऊपर दी गई निम्न शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण करते हैं इसका अर्थ है हम चंडेश्वर का अंश छीन रहे हैं. ऐसा करने से हमें चंदेश्वर के क्रोध का सामना भी करना पड़ सकता है.

अब सवाल यह उठता है कि अगर हम शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ना तो ग्रहण कर सकते और ना ही औरों में बांट सकते तो आखिर हम उस प्रसाद का क्या करें?

अगर आप किसी नदी के आसपास रहते हैं तो शिवलिंग के पर चढ़े हुए प्रसाद को उस नदी में प्रवाहित कर सकते हैं या फिर किसी साधु संत को उसका दान दे सकते हैं.

हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके बताना ना भूलें.