मकर संक्रांति क्या है? और मकर संक्रांति का क्या महत्व है? (सब जानकारी)

दोस्तों कहते हैं भारत देश त्योहारों का देश है. यहां एक त्यौहार नहीं बीतता कि दूसरा आ जाता है. यहां त्योहारों में होली , दीपावली, दशहरा, दुर्गा पूजा, मकर संक्रांति, और कई त्यौहार बहुत प्रचलित है. आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको मकर संक्रांति के बारे में बताएंगे.

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मकर संक्रांति क्या है? | Makar Sankranti in Hindi

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 9 ग्रह और 12 राशियां होती हैं. इन ग्रहों और राशियों के संयोग को संक्रांति कहते हैं. हम संक्रांति को इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि जिस दिन कोई एक ग्रह किसी एक राशि में प्रवेश करे उस दिन को संक्रांति कहते हैं.

ज्यादातर लोग यह समझते हैं कि संक्रांति साल में एक ही बार आती है वह है मकर संक्रांति. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. हमारे शास्त्रों में 12 महीने की 12 राशियां बताई गई हैं. जो 12 राशियां होती हैं वही 12 संक्रांति या हैं.

कोई एक ग्रह एक राशि में जिस दिन प्रवेश करें उसे ही संक्रान्ति कहते हैं.और वह हर महीने की 14 या फिर 15 तारीख को ही आती है. इन सभी संक्रांतिओं में से सबसे महत्वपूर्ण संक्रांति है मकर संक्रांति.

मकर संक्रांति हिंदुओं के द्वारा मनाया जाने वाला एक त्यौहार है. इस त्यौहार में भगवान सूर्य की पूजा होती है.सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं.

मकर संक्रांति क्यों महत्व पूर्ण है? | Makar Sankranti Kyu Manaya Jata Hai

हिन्दू पंचांग के अनुसार एक माह के दो पक्ष हैं एक शुक्ल और एक कृष्ण पक्ष. वैसे ही एक वर्ष के दो अयन है एक उत्तरायण और एक दक्षिणायन .इनके कई सारे प्रमाण हमारे शास्त्रों में प्राप्त  हैं.

संक्रांति के तीन देवता है

  1. भगवान सूर्य
  2. भगवान शिव 
  3. भगवान बृहस्पति यानी गुरु.

अब आगे हम जानेंगे कि मकर संक्रांति के दिन किस देवता की उपासना करने से क्या फल मिलेगा.

मकर संक्रांन्ति उपासना और फल

1. भगवान सूर्य की उपासना

मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की उपासना करने से रोगों से छुटकारा मिलता है. लक्ष्मी की अटूट मात्रा में प्राप्ति होती है.

2. भगवान शिव की आराधना

मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव की आराधना करने से हमें शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और हमारे सरकारी कामों में हमें सफलता मिलती है.अगर हम कोई कोर्ट केस में फंसे हुए हैं तो हम उस में विजय पा सकते हैं.

3. भगवान बृहस्पति की उपासना

मकर संक्रांति के दिन भगवान बृहस्पति की उपासना करने से विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है.हम विद्या और ज्ञान से वह सब हासिल कर सकते हैं जोर किसी चीज से नहीं कर सकते.

इसका महत्व धार्मिक सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि भारत में यह पर्व अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है.

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मकर संक्रांति में सबसे ज्यादा किन चीजों का महत्व है?

मकर संक्रांति में सबसे ज्यादा महत्व है तिल का, दान का, देवताओं की उपासना का, गंगा नदी में स्नान का इत्यादि.

मकर संक्रांति में सबसे ज्यादा महत्व तिल का क्यों होता है?

तिल के महत्व के बारे में हमारे शास्त्रों में कथा कही गई है जिसको मैं आप सभी को बताता हूं. कथा के अनुसार एक दिन सूर्य भगवान अपनी दूसरी पत्नी छाया और पुत्र शनि के श्राप के कारण कुष्ठ रोगी हो गए.

किंतु अपने दूसरे पुत्र यमराज के प्रयत्नों के द्वारा एक वरदान प्राप्त किया. जो था कि अगर कोई भी मनुष्य भगवान सूर्य के सिर्फ चेहरे की पूजा करेगा वह मनुष्य पुष्ट रोगों से दूर हो जाएगा. कई सालों के बाद सूर्य  पुत्र मोह में अपनी पत्नी छाया और पुत्र शनि के घर गए. उन दोनों ने सूर्य भगवान की पूजा की. उन्हें अर्घ्य अर्पण कर उन्हें प्रसन्न किया.

उनकी यह श्रद्धा देखकर भगवान सूर्य बोले आप दोनों ने सच्चे मन से मेरी पूजा की है इसलिए मैं आपको अपने श्राप से मुक्त करता हूं. सूर्य देव के श्राप से उनकी पत्नी छाया और पुत्र शनि निर्धन हो गए थे. फिर छाया और शनि ने  सूर्य देव की तिल से पूजा की.

क्योंकि निर्धनता के कारण उनके घर में तिल के अलावा कुछ भी नहीं था. किंतु शनि देव और छाया दोनों का रंग काला था तो वह जैसे ही तिल को स्पर्श करते थे तिल काले हो जाते थे. फिर भी उन्होंने तिल से पूजा की और भगवान बहुत प्रसन्न हुए. और प्रसन्न होकर उन्होंने यह वरदान दिया कि जो कोई भी मकर संक्रांति के दिन मेरी पूजा तिल से करेगा या तिल का दान दे या तिल को पानी में डालकर स्नान करेगा वह व्यक्ति कभी भी निर्धन नहीं रहेगा.

इसलिए हमें मकर संक्रांति के दिन तिल का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए. चाहे वो किसी भी रूप में हो. हमें तिल को खुद भी खाना चाहिए और दूसरों को भी खिलाना चाहिए.

मकर संक्रांति के दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है?

यह परंपरा भारत के कई राज्यों  में  मनाई जाती है. लेकिन खासकर गुजरात में पतंग उड़ाने का विशेष रूप से प्रमाण मिलता है. श्री रामचरितमानस में तुलसीदास जी कहते हैं  “राम एक दिन चंग उड़ाई”. इस कथन का तात्पर्य है कि भगवान राम ने एक बार पतंग उड़ाई थी.
रामचरितमानस में भगवान राम की पतंग को लेकर भी एक अनमोल कथा कही गई है. वह कथा कुछ इस प्रकार है.
एक बार भगवान राम अपने भाइयों और हनुमान जी के साथ पतंग उड़ा रहे थे. हवा इतनी तेज थी कि वह पतंग उड़ते उड़ते इंद्रलोक में पहुंच गई. और वहाँ इंद्र की पुत्रवधू को मिली जोकि जयंत की पत्नी है. जयंत की पत्नी वह पतंग पाकर सोच में पड़ गई कि आखिर यह पतंग किसकी है. बहुत सोच विचार करने के बाद उसने कहा  

“जासु चंग अस सुंदर ताई सो पुरुष जग में अधिकाई”


अर्थात यह पतंग जिसकी है अगर वही  इसको लेने आएंगे तभी मैं इसे वापस दूंगी. इधर जब बहुत देर तक पतंग वापस नहीं आई तो भगवान राम ने हनुमान को पतंग लाने का आदेश दिया. जब हनुमान जी इंद्र के पुत्र वधू के पास पतंग लेने के लिए पहुंचे तो पहले उन्होंने सीधे इंकार कर दिया.

लेकिन बाद में भगवान राम के चित्रकूट में दर्शन का विश्वास लेकर जयंत पत्नी ने वह पतंग लौटा दी. दोस्तों इस कथा से हम यह समझ सकते हैं की पतंग उड़ाने की प्रथा कितनी पुरानी है.

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए?

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए इसके बारे में शास्त्रों में बहुत कुछ दिया गया है. तो चलिए एक एक करके देखते हैं.

  • शास्त्रों के अनुसार हमें मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. पूजा विधि में बताया गया है कि मकर संक्रांति के दिन हमें भगवान शिव का घी से अभिषेक करना चाहिए. पूजा संपूर्ण होने के बाद आप गाय का घी और कंबल  किसी जरूरतमंद को दान करें. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव की पूजा करता है उसको धन की कमी कभी नहीं होती.
  • भगवान शिव को तिल के तेल का दीपक अर्पित करें. और फिर उस दीपक को निकटतम मंदिर में जाकर दान करें. या फिर अगर आपके घर में मंदिर है या कोई प्रतिष्ठित शिवलिंग है तो आप उस शिवलिंग के पास तिल का तेल अर्पण कर सकते हैं.
  • कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन हमें पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए जिससे हमारे जन्मों के पाप धुल जाते हैं.
  • मकर संक्रांति के दिन हमें नए कपड़े पहनने चाहिए. गरीब और जरूरतमंद लोगों को कपड़े दान भी करनी चाहिए. जिसके उत्तम फल हमारे शास्त्रों में बताए गए हैं.
  • मकर संक्रांति के दिन अगर हम भगवान सूर्य को दूध से स्नान कराएं या फिर जल में ही दूध डालकर उनको स्नान कराएं तो यह अत्यंत शुभ फलदायक होता है. इससे मनुष्य सूर्य लोक को प्राप्त होता है.
  • मकर संक्रांति के दिन सूर्य नमस्कार करना चाहिए.
  • सुबह उठकर हमें घर के सभी बुजुर्गों के पाँव छूकर  उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.
  • मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाकर सभी परिवार के साथ खाना चाहिए. खिचड़ी के साथ काले तिल भी जरूर खाना चाहिए. क्योंकि इस दिन काले तिल खाने से पित्र दोष समाप्त होता है.
  • इस दिन सफेद तिल भी खाना चाहिए और दान भी करना चाहिए. क्योंकि इससे धन आगमन होता है.
  • मकर संक्रांति के दिन अपने घर में झाड़ू अवश्य लाएं.
  • मकर संक्रांति के दिन कोई भी शुभ काम करना बहुत अच्छा होता है. तो अगर आप बहुत पहले से किसी शुभ काम के लिए अच्छे दिन का इंतजार कर रहे थे तो वह दिन यही है.
  • अगर आप संतान प्राप्ति की समस्या से जूझ रहे हैं तो इस दिन आपको एक मुरली और काजल की डिब्बी भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करनी चाहिए. जिससे आपको संतान प्राप्ति अवश्य होगी.
  • इस दिन कोई भी सोने की चीज घर में खरीदकर लानी चाहिए. अगर आपके पास सोने के जेवर है तो उसे पहनना भी चाहिए. उन जेबरों को हल्दी लगाकर गंगाजल से शुद्ध करके मां लक्ष्मी को चढ़ाना चाहिए. इससे आपके घर में लक्ष्मी की कमी कभी नहीं होती.
  • मकर संक्रांति के दिन कोई भी 14 चीजें दान करनी चाहिए .
  • घर में तिल के तेल का दिया जरूर जलाएं.

मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान का क्या महत्व है?

मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. इसका कारण यह है कि मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा राजा भागीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से निकलकर समुद्र में मिलीं थीं.

मकर संक्रांति के दिन स्नान का समय

शास्त्रों के अनुसार हमें मकर संक्रांति के दिन अरुणोदय से प्रातः काल के समय स्नान करना चाहिए. अरुणोदय से प्रातः काल का अर्थ है जब सूर्य उदय होना शुरू हो गया हो. या जिसको हमारी भाषा में कहें कि जब आकाश में ललामी छाई रहती है यह तब का समय है.

नक्षत्र की उपस्थिति में स्नान उत्तम कहा जाता है. नक्षत्र अस्त होने के बाद का स्नान मध्यम फल दाई है. और सूर्य उदय  होने के बाद के स्नान को अधम यानी राक्षसी स्नान समझा जाता है.

अगर आप मकर संक्रांति के दिन घर में स्नान करते हैं तो आपको किंचित फल मिलता है. और अगर आप तालाब में स्नान करते हैं तो आपको दो गुना फल मिलता है. पर अगर आप किसी नदी में स्नान करते हैं तो आपको चार गुना फल मिलता है. पर गंगा नदी में स्नान करने वाले व्यक्ति को सौ गुना फल कहा गया है.

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मकर संक्रांति के दिन घर पर स्नान करने का सही तरीका

अगर आप किसी कारणवश गंगा नदी में जाकर स्नान नहीं कर सकते तो आप घर पर ही स्नान करें. और घर में स्नान करते  समय आप अपने मन में गंगा आदि तीर्थों का स्मरण जरूर करें. इससे आपको अधिक उत्तम फल प्राप्त होगा. यह भी शास्त्रों का एक वचन है.

मकर संक्रांति में भगवान सूर्यनारायण की पूजा कैसे करें?

मकर संक्रांति क्या है
मकर संक्रांति क्या है

आप एक तांबे के बर्तन में जल ले ले और उस जल में कुमकुम, लाल फूल, तिल सफेद या काली ,थोड़ा सा दूध , चंदन जो कि लाल हो ,थोड़ा सा दही, थोड़ी सी हल्दी लेकर अर्घ दें.

मकर संक्रांति में सूर्य उत्तरायण होते हैं

भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने उत्तरायण के बारे में कहा है कि जब भगवान सूर्य उत्तरायण में होते हैं तो पूरी पृथ्वी प्रकाश में होती है. जो व्यक्ति उत्तरायण के समय में अपनी देह त्यागता है उस व्यक्ति को फिर से दूसरा जन्म नहीं लेना पड़ता.

लेकिन जो व्यक्ति दक्षिणायन में अपनी देह त्यागता है उसे बार-बार जन्म लेना पड़ता है . इसमें महाभारत का एक बहुत बड़ा उदाहरण है जिसमें भीष्म पितामह ने उत्तरायण में अपना देह त्याग किया था.

उत्तरायण को हमारे शास्त्रों में अत्यंत शुभ बताया गया है. उनका मत है कि उत्तरायण का समय कोई भी शुभ कार्य करने के लिए सबसे उचित होता है.

मकर सक्रांति के दिन क्या दान करना चाहिए?

मकर संक्रांति के दिन दान के अनेकों महत्व बताए गए हैं. जैसे दान देने से हमारे कस्टों में कमी आती है, हमें अपने पापों से छुटकारा मिलता है. हमारा नाम यश चारों ओर बढ़ता है इसलिए हमें मकर संक्रान्ति के दिन दान जरूर करना चाहिए. अब जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन क्या दान करें?

  1. घी का दान – मकर संक्रांति के दिन घी का दान करना चाहिए.
  2. कंबल – हमें मकर संक्रांति के दिन हर गरीब और जरूरतमंद को कंबल दान करना चाहिए. इससे बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं.
  3. गौ माता को चारा दें – गौ माता को चारा मकर संक्रांति के दिन तो अवश्य देना चाहिए. लेकिन हमें अपने दिनचर्या में यह आदत डाल लेनी चाहिए कि हम रोज में गौमाता को कुछ ना कुछ जरूर खिलाएं. चाहे वह चारा हो या रोटी हो या कोई भी अन्य चीज.
  4. गरीब व्यक्ति को अन्न प्रदान करे – गरीब और असमर्थ लोगों को अन्य दान करने से हमें 100 गुना फल प्राप्त होता है.

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मकर संक्रांति के दिन किन देवताओं का पाठ करें ?

1. मकर संक्रान्ति के दिन बारह पाठ आदित्य हृदई स्तोत्र के करें.  अगर आप किसी कारण वश यह पाठ न कर पाएं तो नीचे दिए गए मंत्र की तीन माला करें.

“ॐ रिं सूर्याय नमः”

2. अगर हो सके तो आप भगवान विष्णु  शःस्त्र नाम का पाठ करें.
लेकिन एक चीज ध्यान रखें कि इसे हमेशा विषम संख्या में करें .
जैसे 1, 3 या 5 बार.

3. मकर सक्रान्ति के दिन भगवान शिव की उपासना करने से सभी चीजें प्राप्त होती हैं.और अगर आप घी से असट्याघ्यायी रूदृ मंत्रों के द्वारा अभिषेक करें तो आप के सभी कष्टों दूर हो जाएंगे.

4. आप मकर संक्रांति के दिन श्री सत्य नारायण भगवान की कथा करवाएं. क्योंकि सत्यनारायण की किताब में यह वर्णन है कि जो कोई भी व्यक्ति मकर संक्रांति या पूर्णमासी के दिन सत्यनारायण कथा को कहता है या सुनता है वह साक्षात बैकुंठ में वास करता है.

भारत में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

भारत में मकर संक्रांति हर राज्य में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है. यहां तक कि हर राज्य में इनके नाम भी अलग है. तो आइए जानते हैं की किस राज्य में कैसे मनाई जाती है मकर संक्रांति.

1. उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में मकर संक्रान्ति के दिन दान का बहुत महत्व है. हम जानते है इलाहाबाद में तीन पवित्र नदियों का संगम है गंगा , यमुना , सरस्वती. ऊपर हम बात कर चुके हैं इन तीनों नदियों के संगम पर स्नान करने का महत्व. इस कारण यहां बहुत बड़ी मात्रा में लोग स्नान के लिए आते हैं.

इन नदियों के संगम पर एक मेला आयोजित किया जाता है माघ मेला . यह मेला बहुत ही प्रसिद्ध और प्रचलित है. भारी मात्रा में भीड़ यहां आती है और मेले का आनंद उठाते हैं. यह मेला 14 जनवरी से प्रयागराज में लगता है.

पहले के समय लोग ऐसा मानते थे कि 14 दिसंबर से 14 जनवरी तक अच्छा सुदिन नहीं होता. कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी , बच्चों के मुंडन , इस समय के बीच में नहीं हो सकते. हालांकि अब लोगों को मानसिकता बदल चुकी है. पर पहले ऐसा ही मानते थे.

और ये भी मानते थे कि 14 जनवरी के बाद अच्छा सुदिन शुरू हो जाता है. उत्तर प्रदेश में लोग पहले  प्रयागराज में स्नान और फिर दान को बहुत महत्व देते हैं. इस जगह का महत्व इतना है की दूसरे राज्यों से भी लोग यहां जाते है. इस दिन लोग गंगा स्नान करने के बाद तिल के लडडू दान करते हैं. उत्तर प्रदेश में खिचड़ी खाने और दान देने का भी बहुत महत्व है.

2. बिहार

बिहार में भी स्नान और दान का बहुत महत्व है. यहां लोग तिल का दान, चिवड़ा , चावल, गौ , सोना आदि चीजों को दान करते है.
बिहार में मकर संक्रांति खिचड़ी नाम से प्रसिद्ध है.

3. हरियाणा और पंजाब

हरियाणा और पंजाब के मकर संक्रान्ति मनाने में  कई समानताएं हैं. वहां इससे लोहड़ी के रूप में एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को ही मनाया जाता है. 13 जनवरी को जैस ही अंधेरा होता है वैसे ही सभी लोग आज जलाकर उसकी पूजा करते है . अग्नि देवता को लोग तिल , गुड,  चावल अग्नि देवता को प्रदान करते हैं.  लोग इस दिन एक दूसरे को तिल और मूंगफली के लडडू देते हैं. और इस अवसर का भरपूर आनंद उठाते हैं.

इस अवसर पर बेटियों का लोक गीत बड़ा प्रचिलित है जो घर घर गीत गाकर लोहड़ी मांगती है. लोहड़ी में नवविवाहित बहू और नवजात बच्चे का बहुत महत्व है. लगभग हर घर में इस दिन मक्के कि रोटी और सरसों कि साग बनता है. सभी परिवार के साथ इसका आनंद उठाते हैं.

4. महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है. वहाँ और त्योहारों की तरह इस त्यौहार को भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. नई विवाहित महिलाएं अपनी पहली मकर संक्रांति पर तेल, नमक, तिल,  गुड, हल्दी, कपास इत्यादि चीजें दूसरी विवाहित महिलाओं को दान करती हैं. और अपने विवाहित जीवन से सभी अड़चनों को दूर करने की कामना करती हैं.

5. बंगाल

बंगाल में मकर संक्रांति के महत्व को बढ़ाता है गंगासागर. दोस्तों जैसा कि मैं ऊपर बता चुका हूं कि मकर संक्रांति वही दिन है जब मां गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी.
गंगासागर वही तट है इस कारण यहां मकर संक्रांति के उत्सव पर बहुत ही भव्य मेला लगता है. इस मेले में देश के कोने कोने से लोग एकत्रित होते हैं. और मकर संक्रांति के उत्सव का आनंद उठाते हैं. गंगा सागर के तट पर स्नान और दान का बहुत महत्व है.

6. तमिलनाडु

तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाने का बहुत ही अलग तरीका है. वहां लोग इस त्यौहार को 4 दिन तक मनाते हैं. तमिलनाडु के लोग

  • पहले दिन- भोगी पोंगल – इस दिन लोग मिलजुल कर आसपास के सभी कूड़े कचरे को इकट्ठा करके उसको जलाते हैं.
  • दूसरे दिन – सूर्य पोंगल – दूसरे दिन लोग बड़ी धूम-धाम से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं.
  • तीसरे दिन – मट्टू पोंगल – तीसरे दिन पशु और धन की पूजा की जाती है.
  • चौथे दिन – कन्या पोंगल – चौथे दिन कन्याओं का बहुत महत्व होता है

पोंगल मनाने के लिए लोग खीर बनाकर सभी उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. बस यह ख्याल रखते हैं कि जो खीर बने  वह मिट्टी के बर्तन में बने और खुले आंगन में बने.

7. राजस्थान

राजस्थान में लोक कोई भी 14 चीज लेकर उसकी पूजा करते हैं और बाद में उसे दान दे देते हैैं.

दोस्तों तो यह थी मकर संक्रांति के बारे में सभी जानकारियां. अगर आपको यह जानकारियां उचित और महत्वपूर्ण लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें. और अपनी राय कमेंट सेक्शन में देना ना भूलें. धन्यवाद.