सप्तम भाव पर ग्रहों की दृष्टि | Saptam Bhav Par Grahon Ki Drishti

कुंडली में सप्तम भाव लग्न से 7 वां घर होता है। हमारी कुंडली में इसे सबसे महत्वपूर्ण घरों में से एक माना जाता है। इस घर से विवाह, पार्टनरशिप, व्यवसाय, दूसरा बच्चा, दिन-प्रतिदिन के सार्वजनिक मामलों को देखा जाता है। 

सूर्य, मंगल, शनि, राहु, और केतु ये जो पांच ग्रह है इनकी विच्छेदात्मक दृष्टि होती है। यानी अगर ये मित्र की दृष्टि से भी सप्तम भाव या किसी और घर को देखें तो फिर भी तोड़ा बहुत बुरा प्रभाव देखने को मिलता है।

और अगर ये शत्रु दृष्टि से देखेंगे तो बुरा प्रभाव हो देते हैं।

चंद्र, बुध, गुरु, और शुक्र ये चारों ग्रह अगर सप्तम भाव या किसी और घर को शत्रु या नीच दृष्टि से देखें तो थोड़ा बुरा पी अभाव देखने को मिल सकता है, अन्यथा इनका अच्छा प्रभाव ही देखने को मिलता है।

आज मैं इस आर्टिकल के माध्यम से सप्तम भाव पर ग्रहों की दृष्टि और इससे संबंधित अन्य बातों के बारे में जानकर देने वाला हूं इसीलिए आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

सप्तम भाव पर ग्रहों की दृष्टि

लग्न के विपरीत 7 वां घर हमारे जीवन में विपरीत लिंग के साथ संबंध का प्रतिनिधित्व करता है। सप्तम भाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे जीवन और संबंधों को प्रभावित करता है।

सप्तम भाव में सभी ग्रहों की दृष्टि के अलग अलग प्रभाव देखने को मिलते हैं।

1. सप्तम भाव पर सूर्य की दृष्टि

जब किसी जातक की कुंडली का सूर्य सप्तम भाव को देखता है तो ये जीवनसाथी या बिजनेस पार्टनर को अहंकारी बना देता है और वे अपने स्वाभिमान के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं।

सप्तम भाव पर सूर्य की दृष्टि वैवाहिक जीवन में कुछ व्यवधान उत्पन्न करती है या कार्य के कारण जातक को जीवनसाथी से अलग कर सकती है। इनमे लड़ाई झगड़े का मुद्दा गलतफहमी और अहंकार हो सकता है, लेकिन अगर अन्य पापक ग्रह सप्तम भाव तथा सप्तमेश को प्रभावित ना करें तो इनमे बड़े लड़ाई झगड़े की संभावना बहुत कम रहती है।

2. सप्तम भाव पर चंद्र की दृष्टि

जब किसी जातक की कुंडली का चंद्र सप्तम भाव को देखता है तो प्रेम विवाह होने की संभावना को बढ़ा देता है। ऐसे जातकों का जीवनसाथी शांत, गोरे रंग वाला, संवेदनशील, रहेगा। लेकिन शादी के बाद इनके बीच में  तनाव रहने की संभावना रहती है।

सप्तम भाव पर चंद्र की दृष्टि वाले लोगों को दुग्ध उत्पादों, मिठाइयों आदि में व्यापार और सौदे से बहुत लाभ और धन मिलने की अधिक संभावना रहती है।

3. सप्तम भाव पर मंगल की दृष्टि

सप्तम भाव पर मंगल की दृष्टि व्यक्ति को मांगलिक बना देती है जिस कारण अगर उस जातक का विवाह दूसरे मांगलिक व्यक्ति से नहीं हुआ तो दोनों के दांपत्य जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं रह सकती हैं।

सप्तम भाव पर मंगल की दृष्टि होने से जातक का  पुलिस या सुरक्षा बल से संबंधित करियर रहता है, और जातक सरकार के लिए गुप्त एजेंट के रूप में भी कार्य कर सकता है।

4. सप्तम भाव पर बुध की दृष्टि

जब किसी जातक की कुंडली में मंगल सप्तम भाव को देखता है तो ऐसे लोगों का जीवनसाथी रचनात्मक क्षेत्र में प्रतिभाशाली होगा और कला और संगीत में रुचि लेने वाला हो सकता है। और इनका जीवनसाथी सुंदर और शांत, बातूनी, हंसमुख और मिलनसार स्वभाव वाला होगा।

सप्तम भाव पर बुध की दृष्टि होने से व्यावसायिक साझेदारी से जातक को पर्याप्त धन लाभ होगा। जातक अपना खुद का व्यवसाय भी करेगा और जीवन में एक से अधिक स्रोतों से कमाई भी कर सकता है।

5. सप्तम भाव पर बृहस्पति की दृष्टि

सप्तम भाव पर बृहस्पति की दृष्टि होने से जातक का जीवनसाथी आकर्षक व्यक्तित्व के साथ दिखने में अच्छा रहेगा। ऐसे जातकों का जीवन विवाह के बाद सभी सुख-सुविधाओं से भरपूर रहेगा। जातक का जीवनसाथी पवित्र, निष्ठावान समर्पित और जातक का बहुत सहयोगी होगा।

सप्तम भाव पर गुरु की दृष्टि जातक को जीवनसाथी और परिवार के प्रति बहुत प्रेमपूर्ण बनाती है। आभूषण और गहनों से जुड़ा व्यापार जातक के लिए बहुत फायदेमंद रहेगा।

6. सप्तम भाव पर शुक्र की दृष्टि

सातवें भाव पर शुक्र की दृष्टि होने से जातक का प्रेम विवाह भी हो सकता है, और विवाह के बाद भाग्य में वृद्धि होने की संभावना अधिक रहती है। सप्तम भाव पर शुक्र की दृष्टि होने से इनकी कम से कम एक पुत्री तो रहती ही है।

जातक और जातक के जीवनसाथी का काम कलात्मक, मीडिया या रचनात्मक क्षेत्र से संबंधित हो सकता है। और उन दोनो का एक दुसरे पर निर्भर होने की संभावना कम रहती है।

7. सप्तम भाव पर शनि की दृष्टि

सप्तम भाव पर शनि की दृष्टि होने से विवाह में देरी होती है, और प्रेम संबंध या प्रेम विवाह में असफलता की संभावना अधिक रहती है। ऐसा जातक अपने से बड़े किसी व्यक्ति से विवाह भी कर सकता है। जातक की शादी 30 के बाद और कभी-कभी 33 से 36 की उम्र में या फिर उसके बाद भी हो सकती है।

सप्तम भाव पर शनि की दृष्टि होने से जातक बहुत संघर्ष, देरी, बाधाओं और कड़ी मेहनत के बाद ही व्यापारिक साझेदारी के माध्यम से बहुत अधिक धन अर्जित करने के साथ साथ जीवन में उन्नति कर सकेगा।

8. सप्तम भाव पर राहु की दृष्टि

सप्तम भाव पर राहु की दृष्टि जातक को अपने जीवनसाथी के ऊपर हावी कर देता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को उसके बिजनेस पार्टनर से धोखा मिल सकता है इसलिए उसे सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।

9. सप्तम भाव पर केतु की दृष्टि

अगर व्यक्ति के सप्तम भाव में केतु की दृष्टि हो तो उसके दांपत्य जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है साथ ही साथ पति पत्नी दोनों के बीच प्रेम में कमी आ सकती है।

अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी तो अपने जान पहचान वालों को शेयर करें।