दशम भाव में गुरु शनि युति | Dasham Bhav Me Guru Shani Yuti

गुरु और शनि दोनों धीरे चलने वाले अर्थात एक राशि पर लंबे समय तक संचरण करने वाले होते हैं। इन दोनों का महत्व हमारे जीवन में सर्वाधिक होता है क्योंकि बिना उनकी इजाजत के हमारे जीवन में कोई भी काम सफल नहीं होता।

अक्सर लोगों के मन में यह सवाल रहता है की दशम भाव में अगर गुरु शनि की युति हो तो यह हमें क्या परिणाम देगी। इस युती के होने से हमें कौन से कार्य क्षेत्र को चुनना चाहिए। आज मैं इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इन सवालों के उत्तर देने वाला हूं इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

दशम भाव में गुरु शनि युति | Dasham Bhav Me Guru Shani Yuti

सामान्य तौर पर दशम भाव में गुरु शनि की युति सर्वश्रेष्ठ मानी गई है क्योंकि यह व्यक्ति को अनुशासित और समाजसेवी बनाती है। ऐसे लोग समाज के लिए कुछ करने के इच्छुक होते हैं।

शनि कर्म कारक ग्रह है इसलिए जब वह कर्म के स्थान पर गुरु की शुभता के साथ बैठता है तो व्यक्ति सही रास्ते पर काम करता है तथा जीवन में मान सम्मान और उन्नति प्राप्त करता है।

ऐसे लोग न्याय प्रिय होते हैं तथा किसी के साथ गलत करने का विचार नहीं रखते। ज्यादातर ऐसे लोग वकील, जज या मैजिस्ट्रेट के पद पर प्रतिष्ठित होते हैं। यह कोई भी काम बड़े ही सलीके से करना पसंद करते हैं।

दोस्तों यह हो गई कारक तत्वों की बात अब आधिपत्य के बारे में भी बात करना महत्वपूर्ण है। अगर मान लीजिए आपकी तुला लग्न की कुंडली है जिसमें शनि सर्वथा कारक होते हैं और वह गुरु के साथ जो कि कष्टकारी होते हैं दशम भाव में युति बना कर बैठ जाएं तो यह श्रेष्ठ परिणाम नहीं देगा।

यहां पर बैठा गुरु आपके कर्म में बाधा उत्पन्न करेगा साथ ही साथ जैसे ही आप कर्म करने जाएंगे आपको शत्रुओं का सामना करना पड़ेगा। शनि और गुरु की दशम भाव में युति आपके पढ़ाई लिखाई में भी बाधा उत्पन्न कर सकती है। आप कर्मठ और जुझारू तो होंगे लेकिन इस युति के कारण आपको अपनी मेहनत का भरपूर परिणाम नहीं मिलेगा।

दोस्तों जिस प्रकार हमने देखा कि तुला लग्न में शनि सर्वथा कारक होते हैं लेकिन गुरु तीसरे और छठे घर के स्वामी होने के कारण शनि की शुभता में कमी ला रहे हैं। अगर दशम में गुरु शनि की युति हो तो व्यक्ति जैसे ही कर्म करता है वैसे ही उसके शत्रु बढ़ते जाते हैं। तो यह शनि और गुरु की युति का नुकसान भी है।

शनि और गुरु की युति दे रही नुकसान करें यह उपाय

अगर आपकी कुंडली में शनि और गुरु दशम भाव में बैठे हैं और वह आपके कर्म में बाधा बन रहे हैं तो सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि इन दोनों ग्रहों में से आपकी कुंडली में कौन सा ग्रह लाभदायक है और कौन सा बाधक।

अगर आपकी कुंडली में शनि बाधक है तो आपके शनि की चीजों का दान करना चाहिए। गरीबों की सेवा करिए और असहाय लोगों की सदैव मदद करिए जिससे आपके शनि देव बुरे परिणाम देना कम कर देंगे।

अगर आपकी कुंडली में गुरु बाधा के बने हुए हैं तो निश्चित तौर पर आपको गुरु के मंत्र का जप करना चाहिए और गुरु के चीजों का दान करना चाहिए साथ ही साथ कभी भी अपने गुरु का अपमान ना करें और पिता का भी सदैव सम्मान करें।