शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का मंत्र (पूरी जानकारी)

हिंदू धर्म में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की मान्यताएं हैं. ऐसा माना जाता है कि दूध चढ़ाने से भगवान शंकर बहुत प्रसन्न होते हैं. शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

अक्सर लोगों का यह सवाल रहता है कि भगवान शंकर को दूध चढ़ाने का मंत्र क्या है. भगवान शंकर को दूध क्यों प्रिय है. इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है. आज मैं इस आर्टिकल (Article) के मध्यम से आपको इन सभी प्रश्नों का उतार दूंगा. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का मंत्र

भगवान भोलेनाथ की पूजा में भावसबसे ज्यादा महत्व रखता है. अगर आप भगवान शंकर को प्रेम के भाव से दूध अर्पण करेंगे तो वह अवश्य उसको स्वीकार कर लेंगे.

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का मंत्र
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का मंत्र

इसका अर्थ यह नहीं है कि इससे मंत्रों की महत्वता खत्म हो जाती है. मंत्रों के जप से स्वयं भगवान उस स्थान पर प्रकट होते हैं. शिवलिंग पर दूध चढ़ाते समय नीचे दिए गए मंत्र को अवश्य पढ़ना चाहिए.

कामधेनुसमुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम् ।
पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानाय गृह्यताम् ।।
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । पयः स्नानं समर्पयामि ।

जो कोई भी व्यक्ति इस मंत्र को पढ़कर भगवान शिव को दूध अर्पण करता है उससे भगवान शंकर बहुत प्रसन्न होते हैं. इस मंत्र को पढ़कर दूध चढ़ाने से भोलेनाथ को ठंडक मिलती है.

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भगवान शंकर को दूध क्यों चढ़ाया जाता है

भगवान शंकर को दूध चढ़ाए जाने के पीछे एक छोटी सी पौराणिक कथा है. समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से विष निकला तो वह चारों दिशाओं में फैलने लगा. इससे कई लोगों की जानें चली गई.

ऐसा होते देख सभी देवी देवता बहुत परेशान हो गए. तब भगवान शंकर ने आगे आकर उस विष को पी लिया. विष को पीने के बाद भगवान शंकर का गला जल रहा था. उनको ठंडक की जरूरत थी. तो कुछ देवताओं ने भगवान जी को दूध पीने का सुझाव दिया.

जब भगवान शंकर ने उस दूध को पिया तो उनके गले को बड़ी राहत मिली. तभी से उनको दूध बहुत प्रिय है. भक्तों के द्वारा अर्पण किया गया दूध वह बड़े प्रेम से ग्रहण कर लेते हैं.

सावन के महीने में जब भारी वर्षा होती है तो घास में कीड़े मकोड़े बहुत ज्यादा मात्रा में लग जाते हैं. और जब गाय चारा चरने जाती हैं तो वह चारे के साथ कीड़े मकोड़े भी खा लेती है. इसीलिए पंडित ऐसा कहते हैं कि सावन महीने में इंसान को दूध नहीं खाना चाहिए.

अब अगर कोई भी चीज इंसान के लिए हानिकारक और अस्वीकार्य हो तो उसे भगवान भोलेनाथ हमेशा आगे आकर स्वीकार करते हैं. इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हमें सावन के महीने में भगवान शंकर को गायों का दूध चढ़ा देना चाहिए.

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे

शिव शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से भगवान शंकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं  हमारे शास्त्रों में शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने का बहुत महत्व बताया गया है.

अगर कोई भी व्यक्ति सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करता है तो भगवान उसके सभी कष्टों का नाश करते हैं. अगर आपके पास दूध पर्याप्त मात्रा में अभिषेक करने के लिए उपलब्ध नहीं है तो फिर आप पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं.

अगर सच्चे भाव से शिवलिंग पर अभिषेक किया गया तो भगवान उस दूध को अवश्य ग्रहण करते हैं. भगवान शंकर की श्रद्धा अपार है. वो अपने भक्तों को कभी कष्ट में नहीं रहने देते हैं.

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शिवलिंग पर दूध आते समय ध्यान रखने योग्य बातें

1. शिवलिंग की पश्चिम दिशा में खड़े होकर भगवान का कभी भी अभिषेक नहीं करना चाहिए. पश्चिम दिशा में शिवलिंग की पीठ होती है. पीठ की ओर खड़े होकर भगवान को अभिषेक अर्पण नहीं करना चाहिए.

2. शिवलिंग पर अभिषेक करने के लिए आपको पूर्व दिशा की ओर भी नहीं खड़े होना चाहिए. पूर्व दिशा की ओर शिवलिंग का मुख होता है. अगर आप पूर्व दिशा की ओर खड़े होकर अभिषेक करेंगे तो भगवान को सही मात्रा में सूर्य से आ रही सकारात्मक ऊर्जा नहीं मिल पाएगी.

3. भगवान का अभिषेक हमेशा शिवलिंग के दक्षिण में खड़े होकर करना चाहिए. अब अगर आप दक्षिण दिशा में खड़े होंगे तो आपका मुख उत्तर दिशा की ओर रहेगा.

उत्तर दिशा भगवान के प्रवेश करने की दिशा है. अगर आप का मुख उत्तर दिशा की ओर होगा तो मंदिर में प्रवेश करने वाले देवताओं का स्वागत आप सच्चे मन से कर पाएंगे.

4. शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के लिए हमें चांदी का बर्तन या फिर तांबे का बर्तन इस्तेमाल करना चाहिए. इन बर्तनों से भगवान को दूध अर्पण करने से अनेक प्रकार के शुभ फल बताए गए हैं.

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमें कभी भी स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से हमें पूजा के संपूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाते.

5. आजकल के समय में कई लोग ऐसा कहते हैं कि हमें किसी मूर्ति पर दूध बर्बाद नहीं करना चाहिए. जो दूध हम भगवान शिव पर अर्पण करते हैं वह बाद में नालियों में बह जाता है और वो किसी के काम नहीं आता.

दोस्तों यह धारणा बिल्कुल गलत है. अगर कहीं भी शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला दूध नाली में बह जाता है तो यह बहुत बुरी बात है. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हमें भगवान पर दूध अर्पण नहीं करना चाहिए. भगवान का अभिषेक नहीं करना चाहिए.

अगर हम शिवलिंग पर चढ़ाए गए दूध को साफ बर्तन में इकट्ठा कर ले तो उसे हम हर किसी में बांट सकते हैं. ऐसी सुविधाएं कई मंदिरों में हैं. अगर आप भी शिवलिंग अभिषेक करते हैं तो उन पर चढ़ाए गए दूध को किसी बर्तन में इकट्ठा कर लीजिए और सभी में प्रसाद के तौर पर उसे बांट दीजिए.

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