गुरु की सप्तम भाव पर दृष्टि

देव गुरु बृहस्पति को ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व दिया गया है। ये सभी देवताओं पर अपनी नजर बनाए रहते थे और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उचित सलाह भी दिया करते थे।

इनकी दृष्टि का महत्व जन्म कुंडली में भी बहुत अधिक है। ज्योतिष शास्त्र में इनकी पांचवी और नवमी दृष्टि को अमृत के समान माना गया है। कई ज्योतिष आचार्यों का कहना है कि जहां कहीं भी गुरु की पांचवी या नवमी दृष्टि पड़ती है वहां शुभता आ जाती है।

आज मैं इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताने वाला हूं कि गुरु की सप्तम भाव पर दृष्टि का क्या फल हो सकता है इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

गुरु की सप्तम भाव पर दृष्टि

दोस्तों ज्योतिष शास्त्र में गुरु की सप्तम भाव पर दृष्टि शुभ ही मानी गई है। जन्म कुंडली में ऐसे तीन भाव है जहां पर गुरु के बैठने से उनकी सप्तम भाव पर दृष्टि पड़ती है वह भाव है पहला, तीसरा और ग्यारहवां।

जब गुरु पहले घर में बैठकर अपनी सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हैं तो वह व्यक्ति के जीवनसाथी को देखने में आकर्षक, गोरा, बुद्धिमान, धर्म-कर्म में निपुण तथा सहनशील बना देते हैं। ऐसे व्यक्ति व्यवसाय करके बहुत ऊंचाइयों तक जा सकते हैं।

जब गुरु तीसरे घर में बैठकर अपनी पंचम दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हैं तो यह भी व्यक्ति के जीवनसाथी को आकर्षक और बुद्धिमान बना देते हैं। ऐसे व्यक्ति के जीवनसाथी सदैव उनके बारे में अच्छा सोचते हैं और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह लोग वैवाहिक जीवन से प्रसन्न रहते हैं।

ग्याराहवे घर में बैठा गुरु अपनी नवम दृष्टि से सप्तम भाव को देखता है इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति का जीवन साथी पढ़ा लिखा, सुंदर, सुशील और विपरीत परिस्थितियों में साथ देने वाला होता है। यह जातक वैवाहिक जीवन से प्रसन्न रहते हैं।

जिस प्रकार अपने ऊपर देखा कि गुरु की सप्तम भाव पर दृष्टि किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं होती बल्कि वह शुभ फल ही देती है लेकिन यहां पर हमने गुरु के कारक तत्वों पर बात की है।

आपको यह भी निश्चित तौर पर ध्यान देना होगा कि गुरु आपकी कुंडली में किस भाव के स्वामी हैं। अगर वे शुभ भावों का आधिपत्य कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर आपको अत्यंत श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे लेकिन वही गुरु अगर तीसरे, छठे, आठवें या बारहवें भाव के स्वामी हैं तो आपको विवाह में कुछ बुरी परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

नैसर्गिक तौर पर गुरु शुभ हैं इसलिए चाहे उनका आधिपत्य कैसा भी हो वह जीवनसाथी के स्वभाव को अच्छा और आकर्षक बनाएंगे लेकिन अगर उनका आधिपत्य बुरे भावों का है तो निश्चित तौर पर आपके दांपत्य जीवन में समस्याएं रह सकती हैं।

अगर गुरु दे रहे हैं समस्याएं तो करें ये उपाय

अगर आपकी कुंडली में गुरु बुरे भावों के स्वामी हैं तो आपको बृहस्पति वार के दिन पीली चीजों का दान करना चाहिए साथ ही साथ आपको बृहस्पतिवार के दिन गुरु मंत्र ‘ॐ बृं बृहस्पते नम:’ का 108 बार जाप करना चाहिए जिससे आपको गुरु के बुरे प्रभावों से छुटकारा मिल सके।