उच्च मंगल दोष क्या होता है? (सम्पूर्ण जानकारी)

शादियों के समय में एक बात बहुत सुनने में आती है कि लड़का मांगलिक है या लड़की मांगलिक है जिससे विवाह नहीं हो सकता या अगर विवाह हो ही गया तो बहुत देर तक नहीं टिक पाएगा।

क्या आप भी ऐसी बातें सुनते हैं? अगर आप यह पढ़ रहे हैं तो निश्चित तौर पर आपने यह बात कही ना कही सुनी होगी। दोस्तों मैं आज आपके सभी संदेहों को दूर करने वाला हूं।

अक्सर लोग पूछते हैं कि उच्च मांगलिक दोष और निम्न मांगलिक दोष क्या होता है? दोस्तों उच्च मांगलिक और निम्न मांगलिक जानने के लिए आपको सबसे पहले जानना जरूरी है कि आखिर मांगलिक दोष क्या होता है।

मांगलिक दोष क्या होता है?

मांगलिक दोष बनता है मंगल ग्रह से। जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें, और बारहवें भाव में हो तो उसकी कुंडली मांगलिक कहलाती है। ऐसा माना जाता है कि मांगलिक व्यक्ति की शादी एक मांगलिक से ही होनी चाहिए अन्यथा उनके दांपत्य जीवन में बहुत सारी समस्याएं आ सकती हैं।

दोस्तों अगर मंगल पहले भाव में होगा तो वह अपनी सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव को देखकर विवाह में समस्याएं ला सकता है। अब मैं आपको बता दूं कि मंगल की चौथी दृष्टि भी होती है इसलिए अगर मंगल चौथे भाव में बैठे तो वह भी अपनी चौथी दृष्टि से सप्तम भाव को प्रभावित करता है।

mars mangal dailywhile

वही मंगल अगर स्वयं सप्तम भाव में है तो निश्चित तौर पर ही वह विवाह के घर यानी सातवें भाव को प्रभावित करेगा जिस कारण व्यक्ति के दांपत्य जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। अगर अष्टम में मंगल होगा तो वह अपनी आठवीं दृष्टि दूसरे भाव पर डालेगा जो हमारे जीवन साथी की आयु का होता है इसलिए अष्टम का मंगल जीवन साथी की आयु को कम करता है।

अब अगर बात करें बारहवें भाव के मंगल की तो वह भी अपनी आठवीं दृष्टि सप्तम भाव पर डालता है जिस कारण बारहवें भाव में बैठे मंगल को भी विवाह के दृष्टिकोण से खतरनाक माना जाता है।

अब कई सारे लोग इतना पढ़ने के बाद काफी घबरा रहे होंगे क्योंकि ज्यादातर लोगों की कुंडली में मंगल इन्हीं भाव में होंगे। दोस्तों आप को डरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पूरे विश्व में 40% से 45% लोग मांगलिक होते हैं।

ज्योतिषियों का मत है कि अगर एक मांगलिक व्यक्ति दूसरे मांगलिक व्यक्ति से विवाह करता है तो उनके दांपत्य जीवन में समस्याएं कम हो जाती हैं क्योंकि एक की कुंडली का मंगल दूसरे की कुंडली के मंगल की काट कर देता है।

उच्च मांगलिक दोष क्या होता है?

उच्च मांगलिक दोष तब बनता है जब व्यक्ति की लग्न कुंडली तथा चंद्र कुंडली दोनों में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में हो। यह स्थिति अत्यधिक खतरनाक हो सकती है अगर उच्च मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का विवाह किसी दूसरे मांगलिक व्यक्ति के साथ ना हुआ हो।

जब किसी की चंद्र या लग्न कुंडली में से किसी एक में मंगल इन भागों में हो तो निम्न मांगलिक दोष बनता है जिसे उच्च मांगलिक दोष से कम खतरनाक माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है कि आपने मांगलिक दोष को नजरअंदाज करदें।

मंगल जब मेष और वृश्चिक राशियों में होता है जो कि स्वयं मंगल की ही राशियां हैं तो मांगलिक दोष का प्रभाव थोड़ा कम हो जाता है क्योंकि कोई भी ग्रह अपने भाव की हानि नहीं कर सकता।

क्यों होता है मांगलिक दोष?

दोस्तों मांगलिक दोष के बनने का कारण है मंगल। मंगल अग्नि का प्रतीक होने के साथ साथ तामसिक ग्रह है। इसका स्वभाव आक्रामक और साहसी है। इस ग्रह से प्रभावित लोग स्वयं में ज्यादा लीन रहते हैं यानी अपने से ज्यादा महत्वता किसी और को नहीं देते।

हम सभी ये बात अच्छे से जानते है कि वैवाहिक संबंध दो लोगों के मेल से ही संभव होता है। आप अगर दोनों में से एक व्यक्ति स्वयं को ज्यादा महत्व दें साथ ही सारे कार्य अपने अनुसार करें तो ऐसे में दांपत्य जीवन में समस्याएं अवश्य उत्पन्न होंगी।