मिथुन लग्न में राहु का फलादेश (12 भावों में)

ज्योतिष शास्त्र में राहु को एक पाठक ग्रह माना गया है। आज हम मिथुन लग्न की कुंडली में राहु के सभी 12 भावों के प्रभावों के बारे में जानेंगे।

मिथुन लग्न के प्रथमभाव में राहु का फलादेश

अगर मिथुन लग्न में राहु पहले भाव में बैठता है तो कई मायनों में व्यक्ति के लिए यह अच्छा प्रभाव देता है क्योंकि लग्न में मिथुन राशि आती है जहां राहु उच्च का माना जाता है।

लग्न में उच्च के राहु के प्रभाव से जातक की लंबाई अच्छी हो जाती है और कई मायनों में वह भाग्यवान भी हो जाता है। अगर यहां पर बैठे राहु पर गुरु की दृष्टि पड़ जाए तो व्यक्ति अपने जीवन में बहुत ऊंचाइयों तक जाता है।

कई बार लग्न का राहु व्यक्ति को काफी मेहनत करा कर धनवान बनाता है खास करके तब जब उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि ना हो। यहां पर बैठा राहु संतान प्राप्ति में विलंब करा सकता है तथा दांपत्य जीवन में भी कठिनाइयां ला सकता है।

मिथुन लग्न के दूसरे भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के दूसरे भाव में चंद्रमा की राशि आती है। चूंकि चंद्रमा और राहु एक दूसरे से मित्रता नहीं रखते यहां का राहु व्यक्ति को परिवार के सुख से वंचित कर देता है साथ ही उसे धन को एकत्रित करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

व्यक्ति को बहुत कठिन परिश्रम करने पर धन प्राप्त होता है। दूसरे भाव का राहु व्यक्ति जी वाणी को कठोर तथा व्यंगात्मक बना देगा। लोगों को इनकी बातें बहुत बुरी लगने लगेगी। 

चूंकि दूसरा भाव मुख का भी होता है इसलिए व्यक्ति को शराब या गलत चीजें खाने पीने की लत लग सकती है। अगर राहु पर अशुभ दृष्टियां हैं तो वह आंख या दांत में रोग भी दे सकता है।

मिथुन लग्न के तीसरे भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के तीसरे भाव में सूर्य की राशि आती है जो की राहु का शत्रु हैं इसलिए वो व्यक्ति को अपने छोटे भाई बहन का सुख नहीं लेने देता लेकिन तीसरे भाव का राहु व्यक्ति को पराक्रमी बनाता है।

ऐसे व्यक्ति हिम्मत वाले और सदैव परिश्रम करने को तैयार रहते हैं। ये राहु इनके दांपत्य जीवन में समस्या खड़ी सकता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवनसाथी पर अपना ज्यादा अधिकार जताने लगते हैं जो समस्याओं का एक बड़ा कारण बन सकता है। ये राहु कई बार पिता के साथ सम्बंध को भी खराब करता है।

मिथुन लग्न के चौथे भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के चौथे भाव में बुध की राशि आती है जो राहु का मित्र है इसलिए यहां पर बैठा राहु व्यक्ति को भूमि भवन का सुख तो दिलाता है लेकिन उसे सदैव असंतोष बना रहता है।

ऐसे जातक अगर अपने जन्म स्थान में अपने परिवार के साथ रहते हैं तो उनके मन में सदैव मानसिक अशांति बनी रहती है। चौथे भाव को राहु व्यक्ति को विदेश में सेटल भी करा सकता है अगर कुंडली में और योग भी हों तो।

चतुर्थ का राहु सप्तम दृष्टि से दशम स्थान को देखता है जिस कारण यह व्यक्ति के कर्म क्षेत्र में सदैव परिवर्तन की स्थिति बना कर रखता है। ऐसे लोग अनेक कार्यों में अपना हाथ आजमाते हैं।

मिथुन लग्न के पंचम भाव में राहु का फलादेश 

मिथुन लग्न के पांचवें भाव में शुक्र की राशि आती है जो राहु से मित्रता रखता है। यहां पर बैठ राहु व्यक्ति को विद्या अध्यन में अनेक प्रकार की बाधाएं देता है। ऐसे व्यक्ति को संतान प्राप्ति में भी बिलंब होता है।

पंचम का राहु बड़े भाई बहनों से भी विवाद करवाता है लेकिन अचानक धन का लाभ भी करवाता है। चूंकि ये व्यक्ति की बुद्धि में बैठा है व्यक्ति को भ्रम में भी डाल देता है।

मिथुन लग्न के छठे भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के छठे भाव में मंगल की राशि आती है को राहु का शत्रु है। यह राहु व्यक्ति के अनेक शत्रु तो बनाता है लेकिन उनसे विजय भी दिलवाता है। ऐसे लोग साहसी और चतुर होते हैं।

षष्ठम भाव में बैठा राहु सातवीं दृष्टि बारहवें भाव पर डालता है जिसके कारण व्यक्ति का खर्च कोर्ट कचहरी और अस्पताल में भी हो सकता है। यह राहु जातक के कार्य क्षेत्र में भी परिवर्तन की स्थिति बनाता रहता है।

मिथुन लग्न के सप्तम भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के सातवें भाव में गुरु की राशि आती है जो राहु का शत्रु है। सप्तम भाव में राहु होने से जातक का उसके जीवनसाथी से संबंध अच्छा नहीं रह पाता। यह राहु व्यवसाय में भी व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना कराता है।

सातवें का राहु होने से व्यक्ति के अनेक मित्र साथी होते हैं लेकिन उसको ज्यादातर से धोखा मिलता है। ये राहु व्यक्ति को रिश्ते में बेवफा बना देता है। वो अपनी पत्नी से अनेक झूठ बोलने लगता है।

मिथुन लग्न के आठवें भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के आठवें भाव में शनि की राशि आती है जो राहु का मित्र है। यहां पर राहु के प्रभाव से व्यक्ति खुफिया क्षेत्रों में बहुत बेहतरीन कार्य करता है।

चूंकि आठवां भाव अचानक बदलाव का है इसलिए यहां पर बैठा राहु आपके जीवन में खौफनाक बदलाव ला सकता है। अगर यह राहु पीड़ित हुआ तो यह और बुरे परिणाम दे सकता है वहीं अगर शुभ ग्रहों से दृष्ट हों तो समस्याएं कम होंगी और बदलाव आपके पक्ष में रहेगा।

यह राहु आपके पेट से संबंधित कोई रोग दे सकता है। इस व्यक्ति चीजों को खुफिया रखने की आदत होती है।

मिथुन लग्न के नवमें भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के नवम भाव में शनि की राशि आती है जो राहु की स्वराशि मानी जाती है। यहां पर बैठा रहूं व्यक्ति की भाग्य उन्नति होती तो है लेकिन उससे अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

ऐसे व्यक्ति अपने परिश्रम के बलबूते पर अपना भाग्य बनाते हैं लेकिन यह जितनी मेहनत करते हैं उतना भाग्य इनको साथ नहीं देता। ऐसे लोग धर्म पालन करने मैं भी अपना मतलब देखते हैं और ढोंगी जैसा बर्ताव कर सकते हैं। उनके पिता से भी इनके संबंध बहुत ठीक नहीं रहते।

मिथुन लग्न के दसमें भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के दसवें भाव में गुरु की राशि आती है जो राहु का शत्रु है। यहां पर राहु के प्रभाव से व्यक्ति को कर्म के प्रति प्रयत्नशील और महत्वाकांक्षी बनाता है लेकिन या राहु व्यक्ति को उसके व्यवसाय और कार्यक्षेत्र में कठिनाइयां देता है।

दसवें भाव में बैठा राहु हूं सातवीं दृष्टि चौथे घर पर डालता है जोकि माता का स्थान है जिस कारण यह राहुल व्यक्ति को माता का संपूर्ण सुख नहीं लेने देता। ऐसे व्यक्तियों को कार्य क्षेत्र में सफलता पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

मिथुन लग्न के ग्यारहवें भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न के ग्यारहवें भाव में मंगल की राशि आती है जो राहु का शत्रु है। यहां पर बैठा रहा हूं व्यक्ति की आमदनी में वृद्धि करता है लेकिन कई बार उसे अपने सोशल सर्कल में समस्याओ का सामना करना पड़ता है।

ग्यारहवां भाव बड़े भाई बहन का भी होता है। अगर यहां पर राहु जैसा पाप ग्रह बैठ जाए तो वह बड़े भाई बहन से संपूर्ण सुख नहीं लेने देता। यह राहु व्यक्ति को कठिन परिश्रम करने पर पर्याप्त मात्रा में धन का लाभ कराता है।

मिथुन लग्न के बारहवें भाव में राहु का फलादेश

मिथुन लग्न में 12वां भाव शुक्र की राशि आती है जो राहु का मित्र है। यहां पर बैठा रहा हूं मैं पीके खर्च को बढ़ा देता है लेकिन यह उस व्यक्ति का खर्च दान धर्म में भी करवाता है।

बारहवें भाव का राहु व्यक्ति को विदेश से भी लाभ करा सकता है। ये व्यक्ति का खर्च अस्पताल और दवामें भी करवाता है। अगर बारहवें भाव का राहु बुरा परिणाम दे तो उसका खर्च कोर्ट कचहरी के मामलों में भी होगा।