मिथुन लग्न में मंगल का फल (12 भावों में)

मिथुन लग्न में मंगल के पास छठवें और ग्यारहवें भाव का आधिपत्य होता है। इस लग्न में मंगल जहां भी बैठता है वहां उस भाव के साथ-साथ छठवें और ग्यारहवें भाव को भी प्रभावित करता है।

आज मैं आपको बताने वाला हूं मिथुन लग्न में मंगल का फल सभी बारह भावों में इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

मिथुन लग्न के प्रथम भाव में मंगल का फल 

मिथुन लग्न के पहले भाव में बुध की राशि आती है जो मंगल की मित्र राशि है। यह मंगल व्यक्ति को शक्तिशाली और ऊर्जावान बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति अपने पराक्रम के द्वारा अपार धन कमाता है।

लग्न पर बैठे मंगल की चौथी दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ती है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति को माता से सुख तो मिलता है लेकिन कहीं ना कहीं उसके मन में असंतोष की भावना रहती है।

लग्न के मंगल की सातवीं दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है जो व्यक्ति के जीवनसाथी का भाव है। यहां पर मंगल की दृष्टि को शुभ नहीं माना जाता। चूंकि लग्न के मंगल के कारण व्यक्ति मांगलिक भी हो जाता है इसलिए उसे अपने दांपत्य जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

मंगल की आठवीं दृष्टि मकर राशि पर पड़ती है जहां मंगल उच्च का हो जाता है। इस दिस दृष्टि के प्रभाव से व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है तथा उसे पैतृक संपत्ति भी थोड़ा लड़ने झगड़ने के बाद प्राप्त होती है।

मिथुन लग्न के दूसरे भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के दूसरे भाव में चंद्रमा की राशि आती है जहां मंगल नीच का हो जाता है। इस मंगल के प्रभाव से व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में परिवार का सुख नहीं मिल पाता और उसे धन अर्जित करने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसा व्यक्ति अगर गलत आदत जैसे नशा या जुए में पड़ जाए तो इन्हें आर्थिक स्तर पर बड़ी हानि हो सकती है। दूसरे भाव पर बैठा मंगल चौथी दृष्टि पंचम भाव पर डालता है जिससे यह संतान में कमी कर आता है लेकिन व्यक्ति की पढ़ाई लिखाई अच्छे से होती है।

मंगल की सातवीं उच्च दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ती है जिससे व्यक्ति को पुरानी चीजों से तथा पैतृक संपत्ति से लाभ होता है। आठवीं दृष्टि से मंगल नौवें भाव को देखने के कारण व्यक्ति की धर्म में रुचि कम रहती है तथा उसे कड़ी मेहनत करने पर सफलता प्राप्त होती है।

मिथुन लग्न के तीसरे भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के तीसरे भाव में सूर्य की राशि आती है जोकि मंगल का मित्र है। यहां पर मंगल के प्रभाव से जातक अत्यंत पराक्रमी होता है लेकिन उसे छोटे भाई बहनों के साथ अच्छा संबंध बनाने में तकलीफ आ सकती है।

चौथी दृष्टि से मंगल छठे भाव को देखता है जिसके कारण व्यक्ति अपने शत्रुओं से बड़ी ही सरलता से जीत जाता है और उसे अपने शत्रुओं से लाभ भी होता है। ऐसे लोगों को कर्ज लेकर कार्य करने में ज्यादा सफलता मिलती है लेकिन इन्हें कभी भी किसी को कर्ज नहीं देना चाहिए नहीं तो इनका पैसा लौट कर वापस नहीं आता।

सातवीं दृष्टि से मंगल नवम भाव को देखने के कारण व्यक्ति की रूचि धर्म में कम कर देता है तथा उसे कठिन मेहनत के बाद सफलता प्राप्त होती है और कई बार उसके पिता के साथ मतभेद भी हो सकते हैं।

आठवीं दृष्टि से मंगल दशम भाव को देखने के कारण व्यक्ति को राज्य तथा अधिकारी पक्ष से लाभ दिलाता है। ऐसे व्यक्ति कर्मठ होते हैं।

मिथुन लग्न के चौथे भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के चौथे भाव में बुध की राशि आती है जो मंगल का मित्र है। यहां पर बैठा मंगल व्यक्ति को भूमि भवन और वाहन का पर्याप्त मात्रा में सुख दिलाता है लेकिन उसे इन्हें प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना पड़ता है।

यहां पर बैठा मंगल व्यक्ति को मांगलिक बना देता है। इसकी चौथी दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है जिससे दांपत्य जीवन में समस्याएं आती हैं तथा व्यक्ति को व्यापार में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सातवीं दृष्टि दशम भाव पर पड़ती है जिसके कारण व्यक्ति को सरकारी अधिकारियों तथा राज्य से लाभ होता है। ऐसे व्यक्ति सदैव कर्म करने के लिए उत्सुक रहते हैं।

मंगल की आठवीं दृष्टि ग्यारहवें भाव पर पड़ने के कारण व्यक्ति अपनी मेहनत से प्रचुर मात्रा में धन कमाता है और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

मिथुन लग्न के पांचवे भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के पांचवे भाव में शुक्र की राशि आती है। अगर यहां पर मंगल बैठ जाए तो कई बार संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न कर देता है। यह मंगल विद्या प्राप्त करने में भी बाधाएं ला सकता है।

इसकी चौथी दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ती है जो व्यक्ति की आयु में वृद्धि कराती है तथा उसे पुरानी चीजों से लाभ होता है। मंगल की सातवीं दृष्टि ग्यारहवें भाव पर पड़ती है जिसके कारण व्यक्ति अपने पराक्रम से पर्याप्त मात्रा में धन कमाता है।

आठवीं दसवीं से मंगल बारहवें भाव को देखता है जो खर्च का स्थान है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है लेकिन उसके खर्च भी बढ़ जाते हैं।

मिथुन लग्न के छठे भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के छठे भाव में मंगल स्वराशि का हो जाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय मिलती है तथा उनसे लाभ भी कमाता है। ऐसे लोगों को अपने मामा पक्ष से भी अनेक प्रकार के लाभ होते हैं।

सातवीं दृष्टि से मंगल बारहवें भाव को देखता है जिस कारण व्यक्ति का खर्च बढ़ जाता है तथा उसे विदेश से लाभ होने की भी संभावना होती है। मंगल की आठवीं मित्र दृष्टि लग्न पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति परिश्रमी होता है और उसकी शारीरिक क्षमता भी बढ़ जाती है।

मिथुन लग्न के सातवे भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के सप्तम भाव में गुरु की राशि आती है जो मंगल का मित्र है। सप्तम का मंगल व्यक्ति को मांगलिक बना देता है जिसके कारण उसे दांपत्य जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

सत्यम के मंगल की चौथी दृष्टि दशम भाव पर पड़ती है जिसके कारण व्यक्ति को कठिन परिश्रम करने के बाद सफलता प्राप्त होती है तथा उसे राज्य पक्ष से लाभ होता है। सातवीं दृष्टि मंगल लग्न पर डालता है जिसके प्रभाव से व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत और बुद्धिमान होता है।

आठवीं नीच दृष्टि मंगल की दूसरे भाव पर पड़ती है जिसके कारण व्यक्ति धन तो खूब कमाता है लेकिन उसको इकट्ठा नहीं कर पाता। उसका पैसा किसी ना किसी कारणवश खर्च हो ही जाता है।

मिथुन लग्न के आठवें भाव में मंगल का फल 

मिथुन लग्न के आठवें भाव में मकर राशि आती है जहां पर मंगल उच्च का हो जाता है। यह मंगल व्यक्ति के आयु के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसे व्यक्तियों को पुरानी चीजों से लाभ होता है।

अष्टम भाव में बैठा मंगल चौथी दृष्टि से लाभ भाव को देखता है जिसके कारण वह उसे अनेक प्रकार के लाभ कराता है। ऐसे व्यक्ति काफी परिश्रम करने के बाद लाभ कमाते हैं। मंगल की सातवीं दृष्टि दूसरे भाव पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति का धन संचय नहीं हो पाता तथा उसे कुटुंब का भरपूर मात्रा में सुख नहीं मिलता।

आठवें भाव में बैठे मंगल की आठवीं दृष्टि तीसरे भाव पर पड़ती है जिसके कारण व्यक्ति अत्यंत पराक्रमी और बुद्धिमान होता है लेकिन कई बार उसे अपने छोटे भाई बहनों के साथ अच्छे संबंध नहीं रह पाते।

मिथुन लग्न के नौवे भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के नौवें भाव में शनि की राशि आती है जो मंगल का शत्रु है। यह मंगल व्यक्ति की भाग्य उन्नति में बाधाएं लाता है। उसे काफी परिश्रम करने के बाद सफलता मिलती है। कई बार ऐसे व्यक्तियों का धर्म के प्रति रुझान कम हो जाता है।

मंगल की चौथी दृष्टि बारहवें भाव पर पड़ने के कारण व्यक्ति खर्चीला स्वभाव का हो जाता है लेकिन उसे विदेश या एक्सपोर्ट इंपोर्ट जैसे धंधों से लाभ हो सकता है। सातवीं दृष्टि से मंगल तीसरे भाव को देखता है जिस कारण व्यक्ति को अत्यंत पराक्रमी बनाता है।

नवम भाव में बैठे मंगल की आठवीं दृष्टि चौथे भाव पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति को भूमि भवन और वाहन के पर्याप्त सुख नहीं मिल पाता तथा उसके माता के साथ संबंधों में भी खटास रहती है।

मिथुन लग्न के दसवें भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के दशम भाव में गुरु की राशि आती है जो मंगल का मित्र है। यहां पर बैठा मंगल व्यक्ति को अत्यंत पराक्रमी बनाता है। ऐसे व्यक्तियों को अधिकारी तथा उच्च तबके के लोगों से लाभ होता है। इन्हें अपने पिता से लाभ होता है।

चौथी मित्र दृष्टि से मंगल लग्न को देखता है जिस कारण या व्यक्ति को शारीरिक शक्ति प्रदान करता है तथा उसकी बुद्धि भी तीव्र होती है। मंगल की सातवीं दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति को भूमि भवन वाहन के सुख में कठिनाइयां आती हैं।

दशम में बैठा मंगल आठवीं दृष्टि से संतान भाव को देखता है जिस कारण व्यक्ति को संतान प्राप्ति में बाधा हो सकती है। यह मंगल व्यक्ति की बुद्धि को तीव्र बनाता है।

मिथुन लग्न के ग्यारहवें भाव में मंगल का फल

मिथुन लग्न के ग्यारहवें भाव में मंगल की ही राशि होती है। यहां पर बैठा मंगल व्यक्ति की सभी मनोकामना को पूर्ण करता है तथा उसे अनेक प्रकार के लाभ भी करवाता है। ऐसे लोगों को अपने बड़े भाई बहनों से भी लाभ होता है।

मंगल की चौथी नीच दृष्टि दूसरे भाव पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति अपना धन संचय नहीं कर पाता तथा उसे परिवार के सुख में भी कमी रहती है। सातवीं दृष्टि से मंगल पंचम भाव को देखता है जिस कारण व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है लेकिन उसे संतान प्राप्ति में कष्ट हो सकता है।

आठवीं दृष्टि मंगल छठे भाव पर डालता है जिस कारण व्यक्ति के शत्रुओं का नाश तथा उन्हीं से लाभ भी होता है।

मिथुन लग्न के बारहवें भाव में मंगल का फल 

मिथुन लग्न के बारहवें भाव में शुक्र की राशि आती है। यहां पर बैठा मंगल व्यक्ति को एक्सपोर्ट इंपोर्ट या विदेश से लाभ कराता है लेकिन यह उसके खर्च को भी बढ़ा देता है। ऐसे लोग अपनी इच्छा पूर्ति करने के लिए खर्च करते हैं।

मंगल की चौथी दृष्टि तीसरे भाव पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति अत्यंत पराक्रमी होता है और वह अपनी मेहनत से धन कमाता है। उसके छोटे भाई बहनों के साथ संबंध में समस्याएं आ सकती हैं।

सातवीं दृष्टि से मंगल छठे भाव को देखता है जो शत्रुओं का नाश करता है और दुश्मनों से भी लाभ करवाता है। बारहवें भाव में बैठे मंगल की आज की दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति को दांपत्य जीवन में समस्याएं आती हैं तथा उसे जननेन्द्रिय संबंधित कोई रोग भी हो सकता है।