“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः”
जिसका अर्थ है कि जहां नारियों की पूजा की जाती है देवता वहीं निवास करते हैं.
दोस्तों यह लाइन हमारे शास्त्रों में वर्णित है. शास्त्रों में यह भी कहा जाता है कि जिस घर में नारियों की पूजा नहीं होती वहां उन्नति के सारे मार्ग बंद हो जाते हैं. इसलिए हमें हमेशा नारियों का सम्मान करना चाहिए. दोस्तों नारी के कई स्वरूप हैं जिनमें से एक है हमारी बहन का.
हिन्दू धर्म में भाई और बहन के रिश्ते को मनाने के लिए खास दो त्योहार है. रक्षा बंधन और भाई दूज.आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भाई दूज के बारे में सभी जानकारियां देने वाले है. तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.
भाई दूज क्या होता है? | Bhai Dooj Kya Hota Hai
भाई दूज हिंदू धर्म का एक त्यौहार है जो कि भाई और बहन के बीच अटूट रिश्ते को दिखाता है. इसे भाई बहन के रिश्ते को और मजबूत करने के लिए मनाते हैं.
भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
हम सब जानते हैं कि भाई दूज, भाई बहन के रिश्ते को दर्शाता है. भाई दूज को मनाने से भाई बहन में स्नेह बढ़ता है.
शास्त्रों में भाई दूज मनाए जाने के पीछे एक छोटी सी कहानी बताई गई है. जो है की एक बार यमुना जी ने यमराज को अपने घर बुलाकर पूरे स्नेह के साथ भोजन करवाया था. और तभी से यह त्यौहार मनाया जाने लगा.
भाई दूज की कहानी
शास्त्रों में भाई दूज की जो कहानी वर्णित है वह है यमुना और यमराज की. यमुना और यमराज बहन भाई थे. और वो दोनों एक दूसरे से बहुत स्नेह करते थे. पर जब भी यमुना, यमराज को अपने घर बुलाती तो वो अपने काम की व्यस्तता के कारण उनके घर नहीं जा पाते थे . पर एक बार यमुना जी ने यमराज को अपने घर आने के लिए वचन बद्ध कर लिया. तब यमराज को सारे काम छोड़कर यमुना जी के घर आना पड़ा.
जब यमराज यमुना जी के यहां आए तो यमुना जी ने उन्हें बड़े प्यार से भोजन करवाया. तब यमराज ने यमुना से कहा कि बहन मुझसे कोई वर मांगो. तो यमुना जी ने कहा आज ही कि तिथि के दिन तुम हर साल मेरे यहां भोजन करने आया करो. तभी से भाई दूज की प्रथा शुरू हुई. इस दिन हर बहन कामना करती है कि उसका भाई उसके हांथो का बना हुआ भोजन करे.
भाई दूज की कथा में एक कथा भगवान कृष्ण की भी बहुत प्रचलित है. जब भगवान श्री कृष्ण नरकासुर को मारकर अपनी बहन सुभद्रा के यहां गए थे तो सुभद्रा ने बड़े ही आदर और सम्मान के साथ भगवान श्री कृष्ण का स्वागत किया था. और उन्हें अपने हाथों का बना हुआ भोजन करवाया था. तभी से भाई दूज की प्रथा शुरू हुई थी.
भाई दूज कैसे मनाते हैं?
दोस्तों हम सब जानते हैं कि भाई दूज के दिन बहन के हाथ का बना हुआ खाना खाना चाहिए. इसलिए अगर भाई दूज मनाने की विधि के बारे में बात करें तो हर पुरुष को इस दिन अपने बहन के घर जाकर उसके हाथों का बना हुआ खाना ही खाना चाहिए.
ऐसा करने से भाई और बहन दोनों को सुख समृद्धि प्राप्त होती है. अपार मात्रा में धन प्राप्त होता है. भाई अगर बहन के हाथों का बना हुआ खाना खाता है तो भाई का भी कल्याण होता है और बहन का भी कल्याण होता है. भाई दूज के दिन भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को कुछ ना कुछ दान अवश्य देना चाहिए.
हर भाई को भाई दूज के दिन अपनी बहन की पूजा करनी चाहिए. हर बहन जिस प्रकार रक्षाबंधन के दिन अपने भाई की टीका लगाकर और आरती उतार कर पूजा करती है उसी प्रकार भाई दूज के दिन हर भाई को अपनी बहन की पूजा करनी चाहिए.
भाई को भाई दूज के दिन पांव छूकर अपनी बहन का आशीर्वाद लेना चाहिए. क्योंकि बहन भी लक्ष्मी का स्वरूप होती है.
भाई दूज के दिन बहन का आशीर्वाद लेने से भाई को अखंड आयु की प्राप्ति होती है.
भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है.किसी कारणवश अगर आप यमुना नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर में स्नान करते समय यमुनाजी का स्मरण जरूर करें. शास्त्रों में स्मरण कर के स्नान करने से भी बहुत अधिक महत्व बताया गया है.
भाई दूज की पूजा विधि
भाई दूज से जुड़े प्रश्न
भाई दूज कब है 2021?
भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. अगर हम साधारण भाषा में बात करें तो भाई दूज दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है.
2021 में भाई दूज 6 नवंबर को मनाया जाएगा.
भाई दूज कितनी तारीख को है?
2021 में भाई दूज 6 नवंबर को मनाया तारीख को जाएगा.
भाई दूज का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है?
2021 में भाई दूज का शुभ मुहूर्त 6 नवंबर को 00:50 से रात 10:32 मिनट तक रहेगा. भाई बहन का इसी समय के दरमियान भाई दूज का त्यौहार मनाना सबसे शुभ कहा जाएगा.
भाई दूज के दिन कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?
भाई दूज के दिन पूजा पाठ करने के भी हमारे शास्त्रों में अनेकों महत्व बताए गए हैं. भाई दूज के दिन हमें ब्रह्मा जी ,बृष्णु जी, और माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए.और जितना संभव हो सके उतना हमें यमुनाष्टकम का पाठ करना चाहिए.
भाई दूज का दूसरा नाम क्या है?
भाई दूज को यमुना जी ने पहली बार मनाया था.इस कारण इसका नाम यमद्वितीया पड़ गया. साधारण भाषा में इसे भैया दूज भी कहता है.
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