सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र (पूरी जानकारी)

हमारे शास्त्रों में भगवान सूर्य को बहुत शक्तिशाली माना जाता है. ये एक मात्र ऐसे देवता हैं जो कलयुग में भी हमारे सामने आकर हमें अपनी रौशनी प्रदान करते हैं.

ज्योतिष शास्त्र में भगवान सूर्य को आत्मविश्वास का कारक माना जाता है. जिस किसी भी व्यक्ति को मान सम्मान और यश प्राप्त होता है वो इनकी ही बदौलत होता है. सूर्य भगवान की हमें प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए.

शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि हमें प्रतिदिन भगवान सूर्य के उदय होने से पहले उठ जाना चाहिए. उठने के बाद हमें स्नानादि करके उगते हुए सूर्य की पूजा करनी चाहिए.

सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र
सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र

दूध देने वाली 1 लाख गायों के दान का जो फल होता है उससे भी बढ़कर फल 1 दिन की सूर्य पूजा से होता है. सूर्य की पूजा करने से हमें श्रेष्ठ लाभ प्राप्त होते हैं.

हमारे सौरमंडल में नौ ग्रह हैं जिसमे से सर्वप्रथम ग्रह सूर्यदेव हैं, जिनको ज्योतिष शास्त्र में पिता का कारक माना गया है. हमारे नेत्र, सिर, दांत, नाक, कान, रक्तचाप, अस्थिरोग, हृदय पर सूर्य का प्रभाव होता हैं.

इन अंगों में होने वाली तकलीफों का एक कारण जन्म कुंडली में सूर्य का अनिष्टकारी होना भी हो सकता है. सूर्य की पूजा करने से हमें इन सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है.

काल पुरुष की कुंडली में सूर्य देव को पुत्र का स्थान मिला है. इसलिए जिस किसी को भी पुत्र प्राप्ति में बाधाएं आ रही हों उनको सूर्य भगवान के मंत्र का जाप करके पुत्र की प्राप्ति हो सकती है.

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आज मैं आपको सूर्य देव के कुछ खास मंत्रों के बारे में बताने वाला हूं जो की सबसे प्रभावशाली साबित हो सकते हैं और जिनका जप करके या फिर उच्चारण करके आप अपनी सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

सूर्य का सबसे प्रभावशाली मंत्र

सूर्य देवता हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भगवान सूर्य के कई ऐसे प्रभावशाली मंत्र हैं जिनका जप करने से हमारा जीवन मंगलमय हो सकता है.

1. प्रातः काल सूर्य को स्मरण करने का मंत्र

सूर्य के सबसे प्रभावशाली मंत्रों में से एक है प्रातः काल सूर्य को स्मरण करने का मंत्र. सुबह सुबह इस मंत्र का पाठ हर व्यक्ति के लिए अत्यंत लाभदायक हो सकता है.

भगवान सूर्य को प्रातः काल स्मरण करने का मंत्र नीचे दिया गया है. इस श्लोक का प्रातः काल पाठ करने से इंसान का कल्याण होता है.

सुबह-सुबह अगर आप सूर्य का स्मरण करते हैं तो आपका दिन अच्छा बीतता है. आपके भीतर आत्मविश्वास की कमी नहीं होती तथा आपके काम में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती.

प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि ।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।

श्लोक का अर्थ

‘सूर्यका वह प्रशस्त रूप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद हैं. जो सृष्टि आदिके कारण हैं, ब्रह्मा और शिवके स्वरूप हैं तथा जिनका रूप अचिन्त्य और अलक्ष्य है, प्रातःकाल मैं उनका स्मरण करता हूँ.

सूर्य की किरणों को आत्मसात करने से शरीर और मन दोनों में स्फूर्ति आती है. हमें नित्य प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए इससे हमारी नेतृत्व की क्षमता में बढ़ोतरी होती है. हमारा यश, मान और सम्मान चारों दिशाओं में फैलता है.

2. सूर्य गायत्री मंत्र

सूर्य के सबसे प्रभावशाली मंत्रों में से दूसरा है सूर्य गायत्री मंत्र. सूर्य गायत्री मंत्र का पाठ करने से मन को शांति मिलती है. भविष्य में आने वाली विपत्तियों से छुटकारा मिलता है.

सूर्य गायत्री मंत्र

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।

सूर्य गायत्री मंत्र का नित्य प्रतिदिन जप करने से हमारा शरीर रोग रहित रहता है. अगर परिवार के सदस्यों में से किसी को कोई दीर्घ कालिक रोग है तो उनको उससे छुटकारा मिलता है.

3. पुत्र की प्राप्ति का मंत्र

सूर्य के सबसे प्रभावशाली मंत्रों में से तीसरा मंत्र नीचे दिया गया है. अगर किसी भी व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति में समस्या आ रही है तो वह सूर्य देव के इस मंत्र का जप करके अपने इस समस्या से निजात पा सकते हैं.

ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।

दोस्तों मैं आपको उपर बता चुका हूं कि काल पुरुष की कुंडली में सूर्य को हमारी बुद्धि और हमारे आगे आने वाली पीढ़ी की यानी हमारे बच्चों की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

इसका अर्थ यह है कि अगर किसी भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य खराब है तो उसको पुत्र प्राप्ति में भी समस्या हो सकती है. अगर वह व्यक्ति ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करता है तो उसे पुत्र की प्राप्ति अवश्य होगी.

4. व्यवसाय में वृद्धि का मंत्र

अगर किसी भी व्यक्ति पर सूर्य देव प्रसन्न हो जाते हैं तो उस व्यक्ति को जीवन में कभी भी किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है.

आप अगर व्यवसाय कर रहे हैं और आपका धंधा बहुत अच्छा नहीं चल रहा है तो आप सूर्य देव के इस मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस मंत्र का जाप करने से व्यवसाय में वृद्धि होती है.

ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।

5.असाध्य रोगों को ठीक करने का मंत्र

कुछ असाध्य रोग होते हैं जिनसे निजात पाना इतना आसान नहीं होता लेकिन सूर्य देव का एक मंत्र ऐसा है जिससे असाध्य रोगों से भी छुटकारा मिल सकता है.

हृदय रोग,  पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को जड़ से समाप्त करने के लिए नीचे दिए गए सूर्य मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए.

ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।

6. पराक्रम में वृद्धि का मंत्र

सूर्य देव मानवों को ऊर्जा प्रदान करने का काम करते हैं. ऊर्जा मनुष्य को पराक्रमी बनाती है. तो अगर हम सूर्य देव की आराधना नीचे दिए गए मंत्र के द्वारा करते हैं तो हमारे पराक्रम में वृद्धि होती है.

ऊँ घृणिं सूर्य्य: आदित्य: ।।

अगर हम बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस करते हैं या कोई भी छोटा मोटा कार्य करने के पश्चात हम थक जाते हैं. इसका अर्थ है कि हमारे शरीर में ऊर्जा की कमी है. अपने शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए हमें इस मंत्र का जप करना चाहिए.

7. आंखों की समस्या से छुटकारा पाने का मंत्र

कुछ लोगों को उनकी आंखों में जन्म से ही या जन्म लेने के बाद कुछ ना कुछ विकार आ जाता है. वह अपनी आंखों की समस्या से छुटकारा सूर्य की आराधना और चाक्षुषोपनिषद से पा सकते हैं.

जिस किसी भी मनुष्य को आंखों की समस्या जैसे आंख में ललामी, आंखों की पीड़ा या आंखें कमजोर हों उस व्यक्ति को प्रतिदिन स्नान करने के बाद चाक्षुषोपनिषद का पाठ अवश्य करना चाहिए.

चाक्षुषोपनिषद का PDF डाउनलोड करें

चाक्षुषोपनिषद

अस्याश्चक्षुषी विद्यायाः अहिर्बुध्न्य ऋषिः .
गायत्री छंदः सूर्योदेवता  चक्षुरोगनिवृत्तये विनियोगः।
ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजस्थिरोभव।  मां पाहि पाहि।
त्वरितम् चक्षुरोगान् शमय शमय। ममाजातरूपं तेजो
दर्शय दर्शय। यथा अहम् अन्धोन स्यां तथा कल्पय कल्पय।

कल्याण कुरु कुरु।  यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि चक्षुः प्रतिरोधक दुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय।
ॐ नमः चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय ।
ॐ नमः करुणा करायामृताय । ॐ नमः सूर्याय।
ॐ नमो भगवते सूर्यायाक्षितेजसे नमः । खेचराय नमः ।
महते नमः । रजसे नमः । तमसे नमः । असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मा अमृतं गमय ।
उष्णो भगवाञ्छुचिरूपः । हंसो भगवान् शुचिरप्रतिरूपः ।
य इमां चाक्षुष्मतीविद्यां ब्राह्मणो नित्यमधीते न
तस्याक्षिरोगो भवति । न तस्य कुले अन्धो भवति ।
अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति ।
ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा ।

इस चाक्षुषी उपनिषद का पूरी श्रद्धा और विश्वासपूर्वक पाठ करनेसे नेत्रके समस्त रोग दूर हो जाते हैं। आँखकी ज्योति स्थिर रहती है। इसका पाठ नित्य करनेवाले मनुष्य के कुलमें कोई अन्धा नहीं होता। पाठके अन्तमें गन्धादियुक्त जलसे सूर्यको अर्घ्य देकर नमस्कार करना चाहिये।

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