[PDF] वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा PDF Download

घर का नक्शा घर निर्माण की सबसे पहली जरूरत होती है. जब कभी भी हम अपने घर के निर्माण के बारे में सोचते हैं तो हमें सबसे पहले एक नक्शा चाहिए होता है. अब चाहे हम वो नक्शा खुद से बनाएं या फिर किसी सिविल इंजीनियर से बनवाएं.

दोस्तों इस आर्टिकल में मैं आपको बताने वाला हूं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा कैसा होना चाहिए. कैसे हमें घर के नक्शे में सभी कमरों को बैठाना चाहिए जिससे कि वह वास्तु शास्त्र के अनुकूल हो.

तो अगर आप एक सिविल इंजीनियर हैं या खुद ही अपने घर का नक्शा बनाना चाहते हैं तो आप इस आर्टिकल से मदद ले सकते हैं और अपने घर के नक्शे को वास्तु शास्त्र के अनुसार बना सकते हैं.

वास्तु सिद्धांत

सबसे पहले वास्तु प्रिंसिपल के बारे में बात करते हैं की वास्तु शास्त्र  घर निर्माण में कौन सी दिशा में कौन सी चीज उचित बताता है.

1. जगह का चुनाव

वास्तु शास्त्र के अनुसार जब कभी भी हम घर निर्माण के बारे में सोचते हैं तो हमें सबसे पहले जगह का सही चुनाव करना आना चाहिए.
हमें अक्सर घर निर्माण के लिए वह जमीन चुननी चाहिए जहां कम डेंसिटी में मिट्टी हो. अगर जमीन में मिट्टी की डेंसिटी कम होगी तो ऊपर बनने वाला घर काफी मजबूत होगा. क्योंकि वह अच्छे से नीचे बैठ पाएगा.ज्यादा मिट्टी होने के कारण वह अच्छे से नीचे नहीं बैठ पाता और उसकी जड़ें कमजोर हो जाती है.

हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारी जो जमीन का आकार है वह आयताकार या वर्गाकार  यानी रेक्टांगुलार या स्क्वेयर होना चाहिए. इसे वास्तुशास्त्र में बहुत अच्छा माना गया है. किसी और आकार की जमीन जैसे त्रिभुज का गोलाकार को बहुत श्रेष्ठ नहीं माना जाता.

नक्शा या घर की शुरुआत करने से पहले अपने जमीन के चारों भुजाओं को अच्छे से नाप लें. ऐसा करने से आप का नक्शा अधिक सटीक बन पाएगा.

2. दिशा की जानकारी

घर बनाने से पहले जमीन की सभी दिशाओं की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है.क्योंकि अगर आपके पास दिशाओं की जानकारी नहीं होगी तो आप वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने घर का नक्शा नहीं बना पाएंगे.

पहले के समय में दिशाओं की जानकारी के लिए कोई भी औजार नहीं था. पर आज हमारे पास कंपास है जिससे हम अपने जमीन के दिशाओं की जानकारी अच्छे से पा सकते हैं. यहां पर ध्यान रखने योग्य बात यह है की हम जब कभी भी कंपास का इस्तेमाल करें तो हम सतर्क जरूर रहे क्योंकि कंपास किसी भी लोहे या चुंबक से सही दिशा से भटक भी सकता है.

3. वास्तु पुरुष को समझना

हमें अपने जमीन की दिशा की जानकारी हो जाने के बाद वास्तु पुरुष को समझना बहुत जरूरी हो जाता है. वास्तु पुरुष को बिना समझे हम वास्तु शास्त्र को नहीं समझ सकते.

वास्तु पुरुष सभी दिशाओं में फैली ऊर्जा को दिखाता है. किस दिशा में कौन सी ऊर्जा है ये समझ कर ही हम घर में किसी भी चीज का निर्माण कर सकते हैं. जैसे अगर हमें ज्ञान हो जाए की अग्नि की दिशा कौनसी है तो उस दिशा में अग्नि तत्व से जुड़ी कोई भी चीज होगी.जैसे अग्नि तत्व से जुड़ी चीज है किचन तो अग्नि की दिशा में होगा किचन.

नीचे दिए गए चित्र से आप देख सकते हैं की इसमें 32 तरह की ऊर्जाएं दिखाई गई है. अब जो दिशा जिस ऊर्जा का सूचक है उस दिशा में उसी ऊर्जा से जुड़े किसी भी तत्व की कोई भी चीज बन सकती है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा PDF
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा PDF

घर का नक्शा बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

वास्तु शास्त्र हमें हर उन महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी देता है जोकि घर बनाने में आवश्यक हैं. जैसे घर की जमीन कैसी हो, घर में कौन सी चीज किस दिशा में होगी.

घर का नक्शा बनाते समय जो भी चीजें नीचे दी गई है उनको उसी दिशा में रखने से वास्तु दोष कभी नहीं लगता. घर की उन्नति निरंतर होती रहती है. इसलिए घर का नक्शा बनाते समय नीचे दी हुई चीजों का ध्यान जरूर रखें.

1. मुख्य द्वार

जो भी  घर बन रहा है उसका नक्शा बनाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारा मुख्य द्वार किस दिशा में होगा.

  1. अगर हमारे घर का सामना उत्तर या पूर्व दिशा में है तो मुख्य द्वार के लिए हमें बहुत विचारने की जरूरत नहीं है. मुख्य द्वार को हम उत्तर या पूर्व दिशा में ही कर सकते हैं.
  2. घर का मुख पश्चिम दिशा में होने पर भी हमें प्रयास करना चाहिए की घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में ही हो. इस दिशा में घर का मुख्य द्वार होने से वास्तु दोष नहीं लगता है. अगर इन दिशाओं में घर का मुख्य द्वार होना संभव ना हो तभी मुख्य द्वार को पश्चिम दिशा में करें.
  3. अगर आपके घर का मुख दक्षिण दिशा में है तो फिर भी यही प्रयास करना चाहिए की घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में ही हो. अगर ऐसा संभव ना हो तभी घर का मुख पश्चिम दिशा में करें.

घर का मुख्य द्वार कभी भी घर के मध्य में नहीं होना चाहिए. वह या तो कुछ इंच दाहिने तरफ या कुछ इंच बाएं तरफ हो. मुख्य द्वार के सामने कोई भी पेड़ पौधा नहीं होना चाहिए. घर का मुख्य द्वार बनाने के लिए सभी महत्वपूर्ण बातें मैने एक आर्टिकल में बताई है जिसकी लिंक नीचे दी गई है.

मुख्य द्वार बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपने प्लॉट को 9 भागों में बांट लें. जैसे मान लीजिए कि हमारे प्लॉट की लंबाई 45 फुट है तो हमें इस को 9 से भाग दे देना चाहिए. 9 से भाग देने पर हर हिस्से में 5 फुट आ रहा है.

अब नीचे दिए गए चित्र को देखें और अच्छे से समझें.

पश्चिम दिशा की लंबाई के 9 भाग
पश्चिम दिशा की लंबाई के 9 भाग

इस चित्र में हमने अपने घर की लंबाई को 9 भागों में बांट दिया है. अब जानें कि किस हिस्से में हम अपना मुख्य द्वार लगा सकते हैं.

पहले हिस्से में – पहले हिस्से के स्थान को पिता का स्थान कहा जाता है. इस स्थान पर में गेट नहीं लगाना चाहिए. ऐसा ज्यादातर देखा गया है कि इस स्थान पर मेट लगाने से धन की कमी हमारे जीवन में बनी रह सकती है.

दूसरे हिस्से में – दूसरे हिस्से में भी मुख्य द्वार लगाना बहुत अधिक शुभ नहीं बताया गया. यहां पर मुख्य द्वार लगाने से धन संपत्ति में कमी तो नहीं आती लेकिन घर परिवार में सुख शांति की कमी हो जाती है. बल्कि ऐसा भी कह सकते हैं कि परिवार के शत्रुओं में बढ़ोतरी भी हो सकती हैं.

तीसरे हिस्से में – तीसरे हिस्से को सुग्रीव का स्थान कहा जाता है. इसलिए इस स्थान पर आप अपना मुख्य द्वार लगा सकते हैं. इस हिस्से में मुख्य द्वार लगाने से धन संपत्ति में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होती है. जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती.

चौथे हिस्से में – इस स्थान को पुष्पदंत का स्थान कहा जाता है . यहां पर  आप अपना मुख्य द्वार लगा सकते हैं. यहां पर मुख्य द्वार लगाने से आपके धन और संतान दोनों में बढ़ोतरी हो सकती है.

पांचवे हिस्से में – यह हिस्सा वरुण का हिस्सा कहा जाता है. इस हिस्से में मुख्य द्वार लगाना अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है. घर में पांचवें हिस्से में द्वार लगाने से घर में कभी भी धन की , सुख समृद्धि की कभी कमी नहीं होती.

छठवें हिस्से में – छठवे हिस्से को असुर का स्थान कहा गया है. यहां पर मुख्य द्वार लगाने से धन में बढ़ोतरी तो होती है किंतु हमारा भाग्य बहुत साथ नहीं देता. तो अगर आपके पास तीसरे ,चौथे और पांचवें हिस्से में मुख्य द्वार लगाने का विकल्प नहीं है तभी आप छठवें हिस्से में अपने घर का मुख्य द्वार लगवाएं.

सातवे, आठवें और नौवे हिस्से को वास्तु शास्त्र में श्रेष्ठ नहीं माना गया. इन स्थानों में घर का मुख्य द्वार लगाने से घर में बीमारियों का आगमन होता है. सुख समृद्धि का नाश होता है.इसलिए भूल कर भी हमें इन तीनों हिस्सों में अपने घर का मुख्य द्वार नहीं लगाना चाहिए.

इन बातों का निष्कर्ष यह निकलता है कि हमें तीसरे, चौथे और पांचवें हिस्से में अपने घर का मुख्य द्वार लगाना चाहिए

मुख्य द्वार ऊपर दी गई दिशा अनुसार रहने से घर में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं होती. और घर में धन  कभी कम नहीं पड़ता.

मुख्य द्वार हमेशा अंदर की तरफ और क्लॉक वाइज डायरेक्शन में खुलना चाहिए. घर का मुख्य द्वार कभी भी घर से बाहर की तरफ नहीं खुलना चाहिए. ऐसा होने से माना जाता है कि घर में आई हुई लक्ष्मी भी लौट जाती हैं. इसलिए मुख्य द्वार बनवाते समय इस बात का सदैव ध्यान रखें.

ये भी पढ़े : वास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम मुखी घर का नक्शा PDF सहित

2. सीढ़ियों की दिशा

हम घर का नक्शा बनाते हैं तो सीढ़ियों के बारे में बहुत नहीं सोचते. और अपनी आवश्यकता अनुसार उसे कहीं भी बना देते हैं. जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए हमें सीढ़ियों को वास्तु के अनुसार बताई गई दिशा में ही बनाना चाहिए जिससे हमें सीढ़ियों का वास्तु दोष ना लगे.

  1. वास्तु के अनुसार सीढ़ियां पहले उत्तर दिशा की ओर जानी चाहिए और फिर मुडकर दक्षिण दिशा में खत्म हो जानी चाहिए.
  2. सीढ़ियां हमेशा क्लॉक वाइज डायरेक्शन में ही होनी चाहिए. क्लाकवाइज डायरेक्शन वो डायरेक्शन है जिस डायरेक्शन में हमारी घडी़ चलती है.
  3. दोस्तों वास्तु शास्त्र के अनुसार हमें अपने घर की सीढ़ी को यू शेप में बनाना चाहिए. यू शेप में सीढ़ी बहुत शुभ मानी गई है.
  4. बेडरूम की दिशा

नक्शा बनाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारे घर का बेडरूम दक्षिण पश्चिम दिशा में या नैऋत्य कोण में हो. क्योंकि इस दिशा को वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम बनाने में बहुत ही शुभ माना गया है.

3. पूजा घर

आजकल के समय में हर व्यक्ति के घर में एक पूजा घर होता है लेकिन लोगों को पूजा घर बनाने की सही जानकारी नहीं होती. जिससे पूजा घर गलत दिशा में बन जाता है. और इससे बहुत बड़ा वास्तु दोष लगता है.

पूजा घर की वास्तु शास्त्र में एक ही दिशा बताई गई है जो है ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व का कोण. इस दिशा से अत्यधिक शुभ पूजा घर के लिए कोई भी दिशा नहीं बताई गई है.

4. किचन या रसोईघर

घर के किचन या रसोईघर के लिए अग्नेय कोण यानी दक्षिण पूर्व की दिशा को अत्यंत शुभ माना गया है. क्योंकि यह दिशा अग्निदेव की दिशा है. इसलिए यहां पर अग्नि से जुड़ी चीज ही बनानी चाहिए.

  1. गैस स्टोव के लिए वास्तु शास्त्र में उत्तर या पूर्व की दिशा बताई गई है. गैस या स्टोव का मुख कभी भी दक्षिण की दिशा में नहीं होना चाहिए.
  2. सिंक या बेसिन बनवाने के लिए सही दिशा है उत्तर पूर्व या ईशान कोण .क्योंकि यह दिशा जल की दिशा है. और बेसिन बनवाते समय हमें यह बात ध्यान रखनी चाहिए की बेसिन कभी भी गैस स्टोव के पास में न हो.

5. बाथरूम की दिशा

घर में बाथरूम बनवाते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए की बाथरूम उत्तर पश्चिम दिशा में ही हो. और अगर बात करें टॉयलेट शीट की तो उसकी दिशा इस प्रकार हो कि इस्तेमाल करने वाले का मुख उत्तर दिशा की ओर हो.

ये भी पढ़े : वास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम मुखी घर का नक्शा PDF सहित

6. सेप्टिक टैंक की दिशा

  1. घर का सेप्टिक टैंक हमेशा उत्तर पश्चिम दिशा या वायव्य कोण में ही होना चाहिए. यह कभी भी बेडरूम और किचन के नीचे नहीं बनवाना चाहिए.
  2. यह धरती की सतह के नीचे ही होना चाहिए. इसे धरती के सतह के ऊपर बनवाना शुभ नहीं माना गया.
  3. पानी का टैंक

दोस्तों वास्तु शास्त्र में ईशान कोण को जल की दिशा बताया गया है. हमें जल से सभी संबंधित कार्य इसी दिशा में करना चाहिए. इस कारण पानी के टैंक को भी हमें ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व के कोने में ही रखना चाहिए.

दोस्तों ऊपर दी गई जानकारी की मदद से आप अपने घर का नक्शा बना सकते हैं. अगर आप नक्शा देखकर उससे मदद लेना चाहते हैं या फिर नक्शे का पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके आप डाउनलोड कर सकते हैं.

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा PDF Download (1)

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