स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव (पूरी जानकारी)

मंगल एक उच्च ऊर्जावान ग्रह है। इसे एक मर्दाना ग्रह भी कहा जाता है। इसमें असीम ऊर्जा होती है और यह नेतृत्व की क्षमता भी प्रदान करता है।

मंगल हमें आत्मविश्वास से भरपूर और निडर बनाता है। यह हमें कई बार मूर्खता पूर्ण निर्णय लेने का भी इक्छुक कर देता है। 

स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव
स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव

आज मैं आपको बताऊंगा की स्त्री की कुंडली के सभी 12 भावों में मंगल का कैसा प्रभाव रहता है। इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रभाव | Stree Ki Kundali Mein Mangal Ka Prabhav

स्त्री की कुंडली में भी मंगल का गहरा प्रभाव होता है। आइए जानते हैं की स्त्री की कुंडली में बारह भावों में मंगल का प्रभाव कैसा रहेगा।

स्त्री की कुंडली में प्रथम भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली में प्रथम भाव का मंगल स्त्री को आत्म निर्भर बना देता है। उनकी रूचि घर के कामों में कम और बाहर के कामों में ज्यादा होती है। उनकी रूचि उन चीजों में भी हो सकती है जो पारंपरिक रूप से पुरुषों से जुड़ी हुई है।

प्रथम भाव में मंगल स्त्री को अहंकारी और महत्वाकांक्षी भी बना देता है। ऐसी स्त्रियां शक्ति प्रेमी होती है। जहां कहीं भी इनको ज्यादा शक्ति और अधिकार मिलता है वहां इनको बहुत आनंद आता है।

ऐसी स्त्रियां सामने वाले के भीतर अपनी छवि छोड़ना चाहती हैं। अगर कोई इनको कम आंकता है तो यह उनके लिए एक चुनौती होती है और वे इस व्यक्ति को गलत साबित कर के ही दम लेती हैं।

कुंडली के लग्न में मंगल स्त्री को मांगलिक बना देता है जोकि दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है। अगर विवाह के दौरान कुंडली मिलान नहीं हुआ तो इसके बुरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

स्त्री की कुंडली में द्वितीय भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली में द्वितीय भाव में मंगल स्त्री को पैसे की ओर आकर्षित करता है। ऐसी महिलाएं पैसा कमाने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। ऐसी महिलाएं घर में सबसे ज्यादा कमाने वाली भी होती हैं।

दूसरे भाव में मंगल वाली महिलाएं ऐसे धन को खोजती हैं जिसमें स्थिरता, आराम और सुरक्षा शामिल हो। इनको मेहनत करने के साथ-साथ आराम भी जरूरी होता है। कई बार इनकी वाणी कटाक्ष लिए हुए हो सकती है जिससे आसपास के लोगों को बुरा लग सकता है।

ऐसी स्त्रियों की रूचि निवेश और व्यवसाय में भी होती है। इनका स्वभाव खर्चीला होता है। प्रथम संतान प्राप्ति में यहां पर बैठा मंगल गर्भपात भी करा सकता है।

स्त्री की कुंडली में तीसरे भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली का तीसरा भाव उनके संचार और मानसिक स्थिति को दर्शाता है। जिस स्त्री की कुंडली में तीसरे भाव में मंगल होगा वह स्त्री संचार की प्रेमी होगी। ऐसे लोगों को नए लोगों से बातचीत करने में बहुत आनंद आता है।

निश्चित तौर पर ऐसी स्त्रियां गतिशील और बलवान होती हैं। उन्हें पराक्रम दिखाने में आनंद की अनुभूति होती है। ये ऐसी स्त्रियां है जो कभी भी मेहनत करने से पीछे नहीं हटती और बुरी से बुरी परिस्थितियों का डटकर सामना करती हैं।

स्त्री की कुंडली के चौथे भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के चौथे भाव में मंगल उनके घर में सुख-शांति को दर्शाता है। चौथे भाव का मंगल विलासिता, आराम और समृद्धि प्रदान करता है।

कई बार चौथे भाव में मंगल घर में कला और दरार का भी कारण बन सकता है। आपके अहंकार, स्वाभिमान और वर्चस्व के कारण यह समस्याएं आती हैं।

इस भाव का मंगल स्त्री को मांगलिक पर बना देता है। अगर विवाह कुंडली मिलान करके नहीं हुआ तो इसके कई नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

स्त्री की कुंडली के पांचवें भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के पांचवें भाव में मंगल प्रेम और रोमांस और कभी-कभी सेक्स के लिए भी बहुत उत्साह और जुनून देता है। इस भाव में मंगल विपरीत लिंग के लिए आकर्षण बढ़ाता है।

पंचम भाव का मंगल स्त्रियों को प्रबंधन का विशेषज्ञ बना देता है। ऐसी महिलाओं की रूचि प्रशासन में भी होती है। कई बार इनको राजनीतिक मुद्दों पर गपशप करते हुए भी पाया जाता है।

अगर कोई अन्य ग्रह कुंडली में विद्या को प्रभावित नहीं कर रहा हो तो पंचम भाव में बैठा मंगल इनकी विद्या को बहुत उत्तम नहीं होने देता। वह विद्या अध्ययन में बाधाएं प्रकट करता रहता है।

पंचम भाव में बैठा मंगल प्रथम संतान प्राप्ति में बाधक हो सकता है। आपको गर्भपात कराना पड़ सकता है।

स्त्री की कुंडली के छठे भाव में मंगल

कुंडली का छठवां भाव शत्रु, स्वास्थ्य, ऋण, हानि आदि का प्रतिनिधित्व करता है। छठे भाव में मंगल होने से स्त्रियों को बचपन में नियमित रूप से बुखार हो सकती है।

कुंडली का छठा भाव नकारात्मक माना जाता है और इस भाव में एक मंगल जैसे उग्र और पापी ग्रह का होना स्त्रियों के लिए शुभ परिणाम दे सकता है। ऐसी स्त्रियां अपने शत्रु को परास्त कर देती हैं।

ऐसी स्त्रियां बुद्धिमान, मजाकिया, होशियार और सतर्क होते हैं। इन में साहस बहुत प्रबल होता है। छठे भाव का मंगल स्त्रियों के प्रेम के उत्साह में कमी लाता है। ऐसी स्त्रियों के के जीवन में सच्चे संबंध, मित्रता और विश्वास की कमी रहेगी। 

स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव में मंगल उनको यौन का आदि बना सकता है। अगर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि इस मंगल पर नहीं है तो ऐसी स्त्रियां अपने जीवनसाथी को धोखा भी दे सकती हैं।

मंगल की स्थिति स्त्रियों को किसी कार्य को पूरा करने की ताकत प्रदान करती है। सप्तम भाव में मंगल मांगलिक बना देता है जिससे दांपत्य जीवन सुखद नहीं रह पाता। कई बार तो विवाह टूट भी जाता है हालांकि एक अन्य ग्रह स्थितियों को देखकर ही बताया जा सकता है।

स्त्री की कुंडली के अष्टम भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के अष्टम भाव का मंगल दीर्घायु बनाता है। ऐसी स्त्रियां खोज करने में कुशल होती हैं चाहे वो बातें हों या कोई वैज्ञानिक तथ्य।

इनके भीतर धोखा खाने का डर होता है जिसके कारण यह पहली मुलाकात से ही किसी पर विश्वास नहीं करने लगते। ऐसी स्त्रियां कई बार अपने भाग्य को कोसती रहती हैं।

आठवां घर नाटक, नखरा और संकटों के बारे में भी होता है इसलिए ऐसी स्त्रियां कई बार इस विचार से बहुत पीड़ित रहती हैं कि उनके प्रिय जन उन्हे धोखा दे रहे हैं।

स्त्री की कुंडली के नवम भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के नवम भाव में मंगल धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास करने वाला बना देता है क्योंकि मंगल जो स्वयं ऊर्जा है धर्म के घर में प्रवेश कर जाता है। कई बार ऐसी स्त्रियां धर्म के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती हैं।

नवम भाव में बैठा मंगल माता के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव की स्थिति ला देता है। ऐसी स्त्रियां खर्चीली स्वभाव की भी होती हैं।

स्त्री की कुंडली के दशम भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के दशम भाव में मंगल स्त्री को धनवान बनाता है। यह ऊर्जा से भरपूर होने के कारण अपने सपनों को पूरा करने के लिए सदैव उत्साही और उत्सुक रहती हैं।

दशम भाव का मंगल स्त्रियों को संतान सुख में कमी देता है। उनको सदैव अपनी संतान की चिंता लगी रहती है।

दशम भाव में मंगल वाली स्त्रियां सभी काम को अपने तरीके से करना चाहती हैं क्योंकि उनके अपने विचार ही वास्तव में उन्हें सफलता का आनंद दिला सकते हैं। जब कभी उन्हें सफलता प्राप्त होती है तो वह बहुत अधिक आहत होती हैं।

स्त्री की कुंडली के ग्यारहवें भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के ग्यारहवें भाव में मंगल सभी तरीके से लाभदायक होता है। उनके पास धन के अनेक साधन होते हैं और परिवार में सुख समृद्धि आती है।

ग्यारहवें भाव का मंगल बाधाओं की परवाह किए बिना धीरे-धीरे सफलता की ओर बढ़ने को प्रेरित करता है। ऐसी स्त्रियां बहुत ही प्रभावशाली और प्रेरक होती हैं।

ऐसी स्त्रियां बहुत अप्रत्याशित होती हैं, जब आपको लगता है कि आप उन्हें जानना शुरू कर रहे हैं, तो वे कुछ ऐसा करते हैं जो आपको पूरी तरह से आश्चर्यचकित करता है।

स्त्री की कुंडली के बारहवें भाव में मंगल

स्त्री की कुंडली के बारहवें भाव में मंगल उनके व्यवसाय या कार्यक्षेत्र में धोखाधड़ी से नुकसान होने की आशंका प्रदान करता है।

बारहवें भाव का मंगल स्त्री को मांगलिक बना देता है जो कि दांपत्य जीवन में मन मोटा और गलतफहमी पैदा करता है। यदि इस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो प्रभाव निम्न रहता है।

दोस्तों हमने आपको स्त्री की कुंडली के 12 भावों में मंगल के प्रभाव के बारे में जानकारी दी है। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके बताना ना भूलें।