शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र (पूरी जानकारी)

शिव की फूल, बेलपत्र, और जल से पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. मन में जो भी मनोकामना होती है सब पूर्ण होती है. अगर कोई व्यक्ति सकाम भाव से, बिना किसी इक्षा के शिव की पूजा करे तो वह व्यक्ति शिव का ही एक रूप हो जाता है.

शिव को जल की धारा अत्यंत प्रिय है. लोगों का यह सवाल आता है कि हमें भगवान को जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए. और मंत्र जाप करके जल चढ़ाने से क्या लाभ होते  हैं. आज मैं इन सभी सवालों के उत्तर इस आर्टिकल (Article) में दूंगा. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र

मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।

इस मंत्र की मदद से आप भगवान शिव को जल अर्पण कर सकते हैं. इस मंत्र का इस्तेमाल हर दिन किया जा सकता है.

मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि शिव को जल अर्पण करने की अनेक विधियां बताई गई हैं. प्रत्येक कार्य के लिए प्रत्येक विधि से शिवजी को जल अर्पण करना चाहिए. हर कार्य के लिए अलग मंत्र भी होता है.

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र

अगर आपके घर में कोई भी व्यक्ति ज्वर – बुखार से पीड़ित है और आप इस बुखार से छुटकारा पाना चाहते हैं. तो आपको सच्चे मन से भगवान शिव को जल धारा प्रदान करनी चाहिए.

जलधारा प्रदान करते समय शत रुद्री मंत्र, एकादश रुद्र मंत्र, रुद्र जाप, रुद्र सूक्त, महामृत्युंजय या गायत्री मंत्र के अंत में नमः लगाकर जल की धारा करनी चाहिए.

यदि आपके घर में नित्य कलह होता हो तो शिवजी पर जल की धारा करने से सब दुख कष्ट दूर हो जाते हैं. शास्त्रों की ऐसी भी मान्यताएं हैं कि यदि शत्रु को तपाना हो तो शिवजी पर तेल की धारा चढ़ाएं.

हमारे शास्त्रों में भगवान शिव को गंगा जी के जल से जल धारा देने का भी महत्व बताया गया है. यदि कोई व्यक्ति शिव जी को गंगा जी के जल से धारा प्रदान करता है तो उसे मुक्ति प्राप्त होती है.

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शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

1. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कभी भी पूर्व दिशा की ओर खड़े होकर भगवान को जल अर्पण नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान की शिवलिंग का मुख पूर्व दिशा की ओर ही होता है.

2. पश्चिम दिशा की ओर खड़े होकर भी भगवान को जल अर्पण ना करें. क्योंकि पश्चिम दिशा की ओर भगवान की पीठ होती है और पीठ की ओर से खड़े होकर जल अर्पण करने से श्रेष्ठ फल प्राप्त नहीं होते.

शास्त्रों में पीठ की तरफ बैठकर के पूजा करने से बुरे परिणाम बताए गए हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान की पीठ की ओर बैठ कर पूजा करने से पाप की उत्पत्ति होती है.

3. शिवलिंग पे जल चढ़ाते समय हमें दक्षिण दिशा की ओर खड़े होकर जल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से हमारा मुख उत्तर दिशा की ओर हो जाएगा. और हम उत्तर दिशा से प्रवेश कर रहे देवी देवताओं का सच्चे मन से स्वागत कर पाएंगे.

4. शिवलिंग पर  जल चढ़ाने के लिए हमें चांदी का बर्तन या फिर तांबे का बर्तन इस्तेमाल करना चाहिए. इन बर्तनों से भगवान को जल अर्पण करने से अनेक प्रकार के शुभ फल बताए गए हैं.

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमें कभी भी स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से हमें पूजा के संपूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाते.

5. भगवान शंकर को जल की धारा बहुत पसंद है इसलिए शिव जी को धारा से ही जल अर्पण करना चाहिए. शिवलिंग पर कभी भी जल को तेजी से ना चढ़ाएं.

शिवलिंग पर हमें बहुत ही मध्यम रफ्तार से जल अर्पण करना चाहिए. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कभी भी जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए.

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शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे

अलग अलग शिवलिंग पर जल चढ़ाने से अलग अलग प्रकार के फायदे होते हैं. आइए उन फायदों को जानते हैं.

1. कई लोग पार्थिव पूजन करते हैं. पार्थिव पूजन में भगवान शंकर की मिट्टी की शिवलिंग बनाते हैं. मिट्टी से बने शिवलिंग पर जल अर्पण करने से समस्त कार्यों की सिद्धि होती है.

2. पारद का शिवलिंग बनवा कर पूजा करने और जल अर्पण करने से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

3. जो कोई भी व्यक्ति सोने के बने शिवलिंग पर जल अर्पण करता है उसके सभी पाप नष्ट होते हैं. उन्हें सभी बंधनों से मुक्ति मिलती है.

आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं.