सप्तम भाव में मकर का शनि | Saptam Bhav Mein Makar Ka Shani

कुंडली में सातवां भाव विवाह तथा व्यापार का होता है। अक्सर लोग घबराते हैं कि अगर उनके सातवें भाव में मकर राशि का शनि है तो क्या प्रभाव होगा?

सप्तम भाव में मकर राशि सिर्फ कर्क लग्न में ही आती है। यानी कि अगर आपके सप्तम भाव में मकर राशि का शनि है तो आपका लग्न कर्क होगा। कर्क लग्न के स्वामी चंद्रमा होते हैं और इस लग्न में शनि को कारक नहीं माना जाता।

आज मैं आपको बताऊंगा की अगर आपकी कुंडली के सप्तम भाव में मकर का शनि स्थित हो तो वह आपके जीवन में किस प्रकार के परिणाम देगा इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

सप्तम भाव में मकर का शनि | Saptam Bhav Mein Makar Ka Shani

दोस्तों अगर बात करें मकर राशि की तो मकर राशि का आधिपत्य शनि के पास होता है यानी कि मकर में स्थित शनि स्वराशि हो जाएगा। अब कोई भी ग्रह अपने भाव की हानि नहीं करता इसलिए शनि सप्तम भाव की वृद्धि करेगा।

सातवें भाव में स्वराशि स्थित शनि के प्रभाव से व्यक्ति को उसके जीवन साथी का साथ मिलेगा साथ ही साथ उसे व्यवसाय के क्षेत्र में भी सफलता मिलेगी। ऐसे लोग अत्यंत धनी, शक्तिशाली या किसी राज्य के अधिकारी होते हैं। इनका विवाह अपनी जात बिरादरी से हटकर भी होने की संभावना रहती है।

यहां पर बैठे शनि शश योग नामक राजयोग निर्माण करेंगे। यह योग तब बनता है जब शनि केंद्र के किसी भाव में अपनी राशि में बैठा हो। यह पंच महापुरुष योग में से एक सर्वश्रेष्ठ योग है। इस राजयोग के परिणाम स्वरूप जातक को सभी प्रकार की भौतिक सुख सुविधाओं का आनंद प्राप्त होता है तथा वह बहुत बड़ी भू संपत्ति का मालिक होता है।

शनि का मजबूत होना कर्क लग्न के व्यक्तियों को दीर्घायु बनाता है और यह आजीवन समाज सेवा करते हैं। जब कोई इनसे बराबरी करने की सोचता है तब कई बार इनके मन में ईर्ष्या की भावना भी उत्पन्न हो जाती है।

सप्तम भाव पर बैठे शनि की तीसरी शत्रु दृष्टि नवम भाव पर पड़ती है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति के भाग्य में थोड़ी कमी आती है तथा व्यक्ति कम धार्मिक होता है। शनि की तीसरी दृष्टि या दिखाती है कि व्यक्ति का भाग्य उदय उसके विवाह के पश्चात भी हो सकता है।

सातवीं शत्रु दृष्टि पहले घर पर पड़ती है जिसके परिणाम स्वरूप शनि व्यक्ति के सुंदरता एवं स्वास्थ्य में थोड़ी कमी ला देते हैं। अगर लग्न लग्नेश पर किसी शुभ ग्रह का प्रभाव ना हो तो ऐसे लोग दुबले पतले, श्याम रंग के होते हैं।

शनि की दसवीं उच्च दृष्टि चौथे भाव पर पड़ती है जिस कारण व्यक्ति को सभी प्रकार के भूमि, भवन, वाहन का सुख प्राप्त होता है। इनके माता से भी इन्हें अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

कर्क लग्न में शनि के अन्य ग्रहों से संबंध

अगर इस लग्न में शनि और सूर्य एक साथ हो तो व्यक्ति को निश्चित ही उसकी पत्नी और ससुराल वालों से लाभ होता है। अगर शनि चंद्रमा के साथ हो तो व्यक्ति व्यवसाय करने वाला होता है।

अगर मंगल शनि के साथ हो तो व्यक्ति का जीवन ऐश्वर्य शाली होता है वहीं अगर शनि बुध के साथ हो तो व्यक्ति की पत्नी बुद्धिमान एवं पराक्रमी होती है साथ ही साथ अपने पति की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहती है।

शनि के साथ गुरु हो तो यहां पर नीच भंग राजयोग बनता है क्योंकि मकर राशि में गुरु नीच के हो जाते हैं। दोस्तों आप सभी जानते हैं कि नीच भंग राजयोग व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के सुख सुविधाएं उपलब्ध कराता है। शनि अगर शुक्र के साथ हो तो व्यक्ति को अपनी पत्नी तथा ससुराल से लाभ होता है।

अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने जान पहचान वालों के साथ अवश्य साझा करें ताकि वह भी इसे पढ़कर लाभ उठा सकें।