पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए?

हमारे शास्त्रों में व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। व्रत करने से हमारे बुरे कर्म जो हमसे अनजाने में हुए हैं सब नष्ट हो जाते हैं और हमारी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

हमारे पूर्व जन्म के कुछ ऐसे बुरे कर्म होते हैं जिसके कारण इस जन्म में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किसी को पुत्र प्राप्ति नहीं होती तो किसी को किसी अन्य क्षेत्र में समस्याएं रहती हैं।

अगर आप इस जन्म में व्रत और पूजा पाठ करते हैं तो हो सकता है की आपको अपने पिछले जन्म के बुरे कर्मों से छुटकारा मिल जाए क्योंकि व्रत करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

आज मैं इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताऊंगा की पुत्र प्राप्ति के लिए आपको कौन सा व्रत करना चाहिए तथा व्रत करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए?

पुत्र प्राप्ति या संतान प्राप्ति आजकल के समय में एक बड़ी समस्या हो गई है। विज्ञान में भी ऐसे कई मध्यम आ गए हैं जिनसे आपको संतान प्राप्ति हो सकती है लेकिन ये तभी संभव है जब वह संतान आपके नसीब में हो। 

अगर आपका नसीब आपका साथ नहीं ले रहा है तो नीचे बताए गए बातों को करके आपके जीवन में खुशहाली आ सकती है। मैं आपको चार ऐसे व्रत बताऊंगा जिनको करके आपको पुत्र प्राप्ति हो सकती है।

1. पुत्रदा एकादशी

पहला व्रत है पुत्रदा एकादशी। पौष माह में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा आप को पुत्र प्राप्ति होगी। इस व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है।

हम सब जानते हैं कि देव गुरु बृहस्पति ही संतान के कारक हैं। अगर किसी की कुंडली में गुरु ठीक नहीं है तो उस व्यक्ति को संतान प्राप्ति या पुत्र प्राप्ति में समस्याएं अवश्य हो सकती हैं।

बृहस्पति भी भगवान विष्णु के ही एक रूप हैं इसलिए अगर आपने इन को प्रसन्न कर लिया तो आपको पुत्र प्राप्ति बड़ी ही सरलता से हो सकती है। हमारे शास्त्रों में ऐसी भी मान्यताएं हैं कि अगर आप इस व्रत को सच्चे भाव और श्रद्धा से करते हैं तो आपको मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

पुत्रदा एकादशी का व्रत आपको दशमी से ही शुरु करना चाहिए। दशमी के दिन रात में आपको सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए ताकि आपका मन सात्विक और शांत रहे। अक्सर आपने ऐसा देखा होगा कि अगर आप ज्यादा तामसिक भोजन ग्रहण करते हैं तो आपके मन में तामसिक विचारों की मात्रा ज्यादा हो जाती है।

उसके पश्चात एकादशी के दिन सुबह सुबह पति पत्नी दोनों को भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करनी चाहिए। उन्हें पीले पुष्प अर्पित करने चाहिए। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है इसलिए इनकी पूजा में एक बर्तन में पंचामृत बनाकर उसमें भी तुलसी डालें तथा भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित भी करें।

पुत्रदा एकादशी को रात में आपको जागरण भी करना चाहिए जिससे भगवान अति प्रसन्न हो जाए और आपकी सभी मनोकामना को पूर्ण कर दें। इसके पश्चात द्वादशी के दिन आप कुछ ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं।

एकादशी के दिन भोजन ग्रहण करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन को ग्रहण ना करें। आपको इस दिन शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए जिससे आपका मन भगवान की श्रद्धा में पूरी तरीके से लगा रहे।

2. श्री सत्यनारायण व्रत कथा

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री सत्यनारायण व्रत कथा पढ़ने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सत्यनारायण स्वामी निर्धन को धन देते हैं, अल्प संतान वाले को संतान देते हैं तथा आपकी सभी प्रकार की जरूरतें पूर्ण करते हैं।

अगर आपकी मनोकामना है कि आपको पुत्र प्राप्ति हो जाए तो अवश्य ही आपको श्री सत्यनारायण व्रत कथा पढ़नी चाहिए। श्री सत्यनारायण भगवान कि सच्चे भाव से पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है।

3. बृहस्पतिवार व्रत कथा

जैसा कि मैंने आपको ऊपर बताया अगर आपकी कुंडली में देव गुरु बृहस्पति कमजोर अवस्था में हैं या पीड़ित हैं तो आपको संतान प्राप्ति में अवश्य ही समस्याएं आ सकती हैं इसलिए अगर आप गुरुवार के दिन बृहस्पतिवार व्रत कथा पढ़ते हैं तथा व्रत करते हैं तो आपको पुत्र प्राप्ति अवश्य हो जाएगी।

कथा करने तथा व्रत रखने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं और वह आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। बृहस्पतिवार के दिन आपको पीले वस्त्रों का धारण करना चाहिए तथा बृहस्पति देव को भी पीले पुष्प तथा पीले प्रसाद अर्पण करने चाहिए।

अगर आप बस पति वार का व्रत करते हैं तो आपको उस दिन पीले भोजन ही ग्रहण करना चाहिए जिससे भगवान बृहस्पति आपके ऊपर प्रसन्न हो जाएं। यहां सब से ध्यान देने योग्य बात यह है की यह सभी सामग्रियां तभी महत्वपूर्ण हैं जब आपने सच्चे भाव से उनकी पूजा की हो।

बृहस्पतिवार व्रत कथा आपको संकल्प लेकर करनी चाहिए। और जब आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाए तो इस कथा को छोड़ते समय विसर्जन के रूप में कुछ ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए तथा दान पुण्य भी करना चाहिए।

4. भगवान सूर्य का व्रत

रविवार के दिन भगवान सूर्य की कथा करके व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। अगर आपने महाभारत की कथा सुनी हो तो उसमें कुंती ने कर्ण को भगवान सूर्य की स्मरण मात्र से प्राप्त किया था।

आप समझ सकते हैं कि भगवान सूर्य की आराधना में कितनी शक्ति है। अगर आपने सच्चे मन से इनका ध्यान किया और इनकी पूजा की तो यह आपको संतान अवश्य देंगे।

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