हिंदू धर्म में लोग अक्सर मंदिर में जाकर पूजा पाठ करते हैं. लेकिन आजकल के इस भागदौड़ वाले जीवन में हर इंसान के पास इतना समय नहीं होता कि वह रोज मंदिर जाकर पूजा कर सके इसलिए लोग घर में ही पूजा घर बनाते हैं जिससे वह घर में ही बैठकर भगवान की पूजा अर्चना कर सकें.
आज हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे की पूजा घर किस दिशा में होना चाहिए. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें.
पूजा घर किस दिशा में होना चाहिए?
पूजा घर बनाने के लिए हमारे शास्त्रों में जो सबसे उत्तम दिशा बताइ गई है वह है ईशान कोण. ईशान कोण उत्तर और पूर्व दिशा के मध्य में बनने वाला कोण है.
अगर आप किसी कारणवश ईशान कोण में मंदिर नहीं बनवा सकते तो फिर आपको उत्तर या पूर्व दिशा में अपना मंदिर बनवाना चाहिए.
बस ध्यान रखने योग्य बात यह है की आप का मंदिर ईशान कोण से जितना नजदीक होगा उतने ही शुभ फल आपको प्राप्त होंगे.
दोस्तों ईशान कोण हमारे घर का सबसे सर्वश्रेष्ठ स्थान होता है. ईशान दिशा में देव गुरु बृहस्पति और भगवान शंकर निवास करते हैं, इसलिए हमें इस दिशा में मंदिर ही बनाना चाहिए.
बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि लोग ईशान कोण में अपना बेडरूम, स्टोर रूम या किचन कुछ भी बना देते हैं. लेकिन ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए इसके बहुत प्रकार के दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
ईशान कोण के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दी गई लिंक पर जाएं. हमने इस लिंक पर ईशान कोण क्या है या ईशान कोण में बनने वाले दोष और उनके उपायों के बारे में जानकारी दी है.
ये भी पड़ें : ईशान कोण में बनने वाले दोष और उनका उपाय
मंदिर बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- मंदिर को कभी नैऋत्य कोण में नहीं बनाना चाहिए. नैऋत्य कोण में मंदिर बनाना बहुत अनिष्ठकारक होता है. इस दिशा में मंदिर बनाने से घर परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य में समस्याएं आने लगती है.
नैऋत्य कोण, दक्षिण और पश्चिम के मध्य में बनने वाला कोण है. वास्तु शास्त्र के हिसाब से वास्तु पुरुष का पैर इसी कोण में आता है. हमें अपने देवताओं को वास्तु पुरुष के सिर की दिशा यानी ईशान दिशा में रखना चाहिए.
अब अगर हम वास्तु पुरुष के पैर की दिशा में अपने घर के देवी देवताओं को रखकर पूजा आराधना करेंगे तो हमें शुभ फल प्राप्त कैसे होगा. इसीलिए हमें नैऋत्य कोण में मंदिर कभी भी नहीं बनाना चाहिए.
- ऐसा बहुत घरों में देखा जाता है कि लोग अपने घर का मंदिर आग्नेय कोण में या फिर किचन के आस पास बना देते हैं. ये हमारी मानसिक शांति के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं होता.
हम पूजा पाठ इसीलिए करते हैं ताकि हम भगवान को इस अनमोल जिंदगी का शुक्रिया अदा कर सकें और हमें इसके बदले में थोड़ी बहुत मानसिक शांति मिल जाए.
अगर हमारे घर का पूजा घर आग्नेय कोण में होगा तो पूजा करके हमें कभी भी मानसिक शांति नहीं मिल सकती बल्कि मानसिक चिंताएं और बढ़ती है तो यह हमारे लिए बिल्कुल ठीक बात नहीं है. इसलिए हमें अपने घर के आग्नेय कोण में मंदिर कभी नहीं बनाना चाहिए.
- अपने घर के बाथरूम के अगल-बगल मंदिर कभी भी नहीं बनाना चाहिए. आपके घर के बाथरूम के बगल में यदि आपका मंदिर है तो फिर आप मंदिर का स्थान बदल दीजिए या फिर उस बाथरूम को इस्तेमाल करना बंद कर दीजिए.
क्या घर के छत पर पूजा रूम बना सकते हैं?
हां आप अपने घर के छत पे पूजा रूम बना सकते हैं पर आपको ये ध्यान रखना होगा की छत पे बना मंदिर ईशान कोण में ही होना चाहिए.
अगर आप छत पर पूजा रूम बनाना चाहते हैं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें की आपका पूजा रूम बाथरूम के ऊपर या किचन के ऊपर नहीं होना चाहिए वरना इसके कई दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं.
आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताना ना भूलें.
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