फूल चढ़ाने के नियम (पूरी जानकारी)

देवी देवताओं की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण होता है भाव. भगवान अपने भक्त से अनेक प्रकार का प्रसाद और दान दक्षिणा नहीं चाहते बल्कि वे अपने भक्तों से प्रेम भाव चाहते हैं.

अगर आप में सच्ची श्रद्धा और भाव नहीं है तो आप भगवान के सामने क्या अर्पण करते हैं उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता. पर अगर आप का भाव सच्चा है तो आपके द्वारा चढ़ाई गई छोटी से छोटी चीज भगवान ग्रहण कर लेते हैं.

पूजा करते समय भगवान को फूल चढ़ाने के कई महत्व होते हैं. शास्त्रों में भगवान को फूल चढ़ाने के नियम के बारे में हमें बताया गया है आज मैं आपको उन्हीं नियमों के बारे में बताऊंगा. इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

फूल चढ़ाने के नियम

भगवान को पुष्प अति प्रिय होता है. जो कोई भी भक्त देवी देवताओं को सच्चे भाव से फूल अर्पण करता है भगवान उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं.

फूल चढ़ाने के नियम
फूल चढ़ाने के नियम

भगवान को फूल चढ़ाने के लिए आपको फूल चढ़ाने के सही नियम जानने बहुत जरूरी है. फूल चढ़ाने के नियम –

  1. भगवान को पुष्प कैसे चढ़ाना चाहिए इसके बारे में हमारे शास्त्र में एक श्लोक हैं –

“पत्रं वा यदि वा पुष्पं फलं नेष्ठ अधोमुखं
यथा उत्पनं तथा देयं बिल्व पत्र अधोमुखं”

इसका अर्थ है कि पुष्प जिस तरीके से खिलता है उसी तरीके का हमें भगवान के ऊपर अर्पण करना चाहिए ‘यथोत्पन्नं तथार्पणम् ‘. बहुत सारे लोग पुष्प को भगवान के ऊपर उल्टा अर्पित कर देते हैं पर ऐसा करना शास्त्रों में वर्जित है.

फूल का उत्पन्न होते समय मुख ऊपर की ओर होता है अतः चढ़ाते समय भी इनका मुख्य ऊपर की ओर ही रखना चाहिए.

शास्त्रों के अनुसार सिर्फ बिल्व पत्र को  उल्टा करके चढ़ाना चाहिए या यूं कहें इसके नरम भाग को देवताओं के ऊपर चढ़ाना चाहिए.

  1. मुरझाए हुए या बासी फूलों में सुगंध नहीं होती इसलिए भगवान को मुरझाए हुए फूल कभी भी नहीं चढ़ाने चाहिए. किंतु तुलसी दल, गंगाजल या और किसी तीर्थों का जल कभी भी बासी नहीं होता

“वर्ज्य पर्युषितं पुष्पं वर्ज्यं पर्युषितं जलम् ।
न वर्ज्यं तुलसीपत्रं न वर्ज्यं जाह्नवीजलम् ॥”

एक फूल है दौना जिसे आप बासी भी चढ़ा सकते हैं. दौना तुलसी की तरह ही एक पौधा है. यह पौधा भगवान विष्णु को इतना प्रिय है कि वह दौना की माला को सूख जाने पर भी स्वीकार कर लेते हैं. इसके बारे में स्कंदपुराण में दिया गया है.

  1. फूल चढ़ाने के लिए हमें अपने हाथों की तीन उंगलियां मध्यमा, अनामिका और अंगूठा का इस्तेमाल करना चाहिए.
    इन तीन उंगलियों के अलावा बची दो गलियों से फूल को स्पर्श नहीं करना चाहिए.
  2. ऐसा अक्सर देखा जाता है की फूलों में कई प्रकार के कीड़े लगे रहते हैं. और लोग सीधे ही कीड़े लगे फूलों को तोड़कर भगवान को चढ़ा देते हैं लेकिन हमें ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए.

कीड़े लगे हुए फूलों को तोड़कर कुछ देर रख देना चाहिए जिससे उसके कीड़े निकल जाएं और उसके बाद हमें उन्हें देवताओं को अर्पण करना चाहिए.

  1. फूल चढ़ाने के लिए हमें फूल तोड़ने का भी नियम जान लेना चाहिए. कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि फूल को स्नान के पश्चात तोड़ना चहिए या स्नान के पूर्व तोड़ना चाहिए.

” स्नानं कृत्वा तु ये केचित् पुष्पं चिन्वन्ति मानवाः ।
देवतास्त गृह्णन्ति भस्मीभवति दारुवत् ॥”

शास्त्रों के अनुसार अगर आप प्रातः काल स्नान आदि कर लेते हैं तो आप फूल को तोड़ सकते हैं पर अगर आप ‘मध्याह्न-स्नान’ करते हैं तो फिर आप स्नान करने के बाद फूल ना तोड़ें.

जो कोई भी व्यक्ति ‘मध्याह्न-स्नान’ करके फूल तोड़ता है उस फूल को भगवान स्वीकार नहीं करते. स्नान के बाद हमें तुलसी और बिल्वपत्र तोड़ने चाहिए.

फूल तोड़ने से पहले हाथ पैर धो कर हमें आचमन कर लेनी चाहिए. और पूरब की ओर मुंह करके हाथ जोड़कर यह मंत्र बोलना चाहिए.

“मा नु शोकं कुरुष्व त्वं स्थानत्यागं च मा कुरु।
देवतापूजनार्थाय प्रार्थयामि वनस्पते ॥”

इस मंत्र के पश्चात पहला फूल तोड़ते समय ‘ॐ वरुणाय नमः’, दूसरा फूल तोड़ते समय ‘ॐ व्योमाय नमः’ और तीसरा फूल तोड़ते समय ‘ॐ पृथिव्यै नमः’ बोले’। और इसके बाद आप फूल तोड़ सकते हैं.

फूल उतारने के नियम

फूलों को एक पहर से अधिक देवताओं के ऊपर रहने के बाद उन्हें उतारा जाता है. फूल उतारने के लिए हमें अपनी तर्जनी और अंगूठे का स्तेमाल करना चाहिए. फूल उतारते समय बची हुई तीन उंगलियों से फूल को स्पर्श नहीं करना चाहिए.

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