मिथुन लग्न में चंद्र का फल (12 भावों में)

मिथुन लग्न में चंद्रमा दूसरे भाव का स्वामी होता है। दूसरा भाव हमारी बॉडी, हमारे परिवार और हमारे धन संचय को दर्शाता है। तो आइए जानते हैं कि मिथुन लग्न की कुंडली में चंद्रमा का बारहों भावों में क्या फल हो सकता है।

मिथुन लग्न के पहले भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न की कुंडली के पहले भाव में मिथुन राशि होती है जिसके स्वामी बुध ग्रह होते हैं। इस भाव में चंद्रमा कुछ अच्छे परिणाम देता है।

लग्न में चंद्रमा के प्रभाव से जातक अपने परिवार से पर्याप्त मात्रा में सुख पाता है और अपनी शारीरिक शक्ति से धन कमाता भी है और जोड़ता भी है। लग्न में चंद्रमा व्यक्ति को सुंदर और आकर्षक बना देते हैं इसके साथ ही उसे माता का असीम प्रेम प्राप्त होता है।

अगर इस पर कोई पापक दृष्टि ना हो तो व्यक्ति बहुत ही ज्यादा सुखी और धनी होता है। पापक दृष्टि या पीड़ित होने पर प्रभाव कम हो जाते हैं।

लग्न में बैठे चंद्रमा की सातवीं दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है। चंद्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि सप्तम भाव पर होने से जातक को स्त्री का सुख मिलता है। ऐसे लोग व्यापार में भी काफी ऊंचाइयों तक जाते हैं।

मिथुन लग्न के दूसरे भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के दूसरे भाव में कर्क राशि आती है जो कि स्वयं चंद्रमा की ही राशि है। दूसरे भाव में स्वराशि का चंद्रमा होने के कारण चंद्रमा काफी मजबूत स्थिति में हो जाता है और यह व्यक्ति को काफी शुभ फल प्रदान करता है।

दूसरे भाव में स्वराशि का चंद्रमा व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पारिवारिक सुख और पैतृक संपत्ति दिलवाता है। ऐसे जातक की वाणी में भावनाएं झलकती हैं।

दूसरे भाव में बैठे चंद्रमा की सातवीं दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ती है जिससे व्यक्ति को जीवन में मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। इसका अर्थ यह नहीं कि वह व्यक्ति जीवन भर दुखी ही रहेगा। ऐसा जातक सुखी तथा यशस्वी होगा लेकिन थोड़ी बहुत मानसिक चिंताएं परेशान कर सकती हैं।

मिथुन लग्न के तीसरे भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के तीसरे भाव में सिंह राशि आती है जिसका आधिपत्य सूर्य के पास होता है। सूर्य की राशि पर चंद्रमा व्यक्ति को पराक्रमी बनाता है। ऐसे व्यक्ति अपने भाई बहनों से काफी प्रेम करते हैं और उन्हें भाई बहनों का पर्याप्त सुख मिलता है।

तीसरे भाव में बैठे चंद्रमा की सातवीं शत्रु दृष्टि नवम भाव पर पड़ती है जो व्यक्ति के भाग्य में रुकावट प्रकट कर सकती है। ऐसे व्यक्ति कम धार्मिक होते हैं। अपने जीवन में पराक्रम से धन अर्जित करता है।

मिथुन लग्न के चौथे भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के चौथे भाव में कन्या राशि आती है जिसका आधिपत्य बुध ग्रह के पास होता है। यहां पर बैठा चंद्रमा व्यक्ति को भूमि, भवन, वाहन का सुख पर्याप्त मात्रा में दिलाता है लेकिन माता के सुखों में कमी आती है।

चौथे भाव पर बैठे चंद्रमा की सातवीं दृष्टि दशम भाव पर पड़ती है। यह दृष्टि व्यक्ति को कार्य के प्रति इमानदार बनाती है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में काफी उन्नति करते हैं और उनका नाम और यश चारों दिशाओं में फैलता है। वे लोग व्यापार में भी खूब तरक्की करते हैं। उनको अपने पिता का सुख भी पर्याप्त मात्रा में मिलता है।

मिथुन लग्न के पंचम भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के पांचवे भाव में तुला राशि आती है जिसका अधिपति शुक्र ग्रह के पास होता है। चूंकि शुक्र और चंद्रमा की मित्रता है, यह चंद्रमा व्यक्ति को बुद्धिमान और विद्या के क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में सफलता दिलाता है। यह व्यक्ति के संतान में रुकावटें ला सकता है।

पांचवें भाव में बैठा चंद्रमा सातवीं दृष्टि से ग्यारहवें भाव को देखता है जो व्यक्ति को प्रचुर मात्रा में धन लाभ कराता है। ऐसे व्यक्ति धनी और समाज में पूजनीय होते हैं।

मिथुन लग्न के छठे भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के छठे भाव में वृश्चिक राशि आती है जिसका आधिपत्य मंगल ग्रह के पास होता है। वृश्चिक राशि में चंद्रमा नीच का हो जाता है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा व्यक्ति को काफी परिश्रम के बाद धन दिलाता है। ऐसे लोगों को आपके शत्रुओं से चोट चपेट का खतरा बना रह सकता है।

छठे भाव में बैठे चंद्रमा की सातवीं उच्च दृष्टि बारहवें भाव पर पड़ती है जो व्यक्ति के खर्च को तो बढ़ा देती है परंतु यह विदेश या बाहरी स्थानों से धन लाभ की स्थिति भी बढाती है।

मिथुन लग्न के सप्तम भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के सप्तम भाव में धनु राशि आती है जिसका आधिपत्य देव गुरु बृहस्पति के पास होता है। यहां पर बैठा चंद्रमा विवाह रुकावटों के बाद करवाता है और व्यक्ति की भाग में उन्नति भी विवाह के बाद ही होती है। अगर ऐसे व्यक्ति व्यवसाय करते हैं तो उन्हें लाभ होता है।

सप्तम भाव में बैठा चंद्रमा लग्न में दृष्टि डालकर व्यक्ति को सुंदर और आकर्षक बना देता है। ऐसे व्यक्ति अपने दम पर अपनी कीर्ति स्थापित करते हैं।

मिथुन लग्न के अष्टम भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के अष्टम भाव में मकर राशि आती है जिसका आधिपत्य शनि के पास होता है। यहां पर बैठा चंद्रमा व्यक्ति के धन उपार्जन में बाधा को दर्शाता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने परिवार और कुटुंब का पर्याप्त मात्रा में सुख नहीं मिल पाता। इनके जीवन में परेशानियां लगी रहती हैं।

आठवें भाव में बैठे चंद्रमा की सातवीं दृष्टि दूसरे भाव पर पड़ती है जहां पर स्वयं चंद्रमा की राशि है। यह दृष्टि व्यक्ति को काफी परिश्रम करने से उन्हें उनके परिवार का शुभ चिल्लाती है और पैतृक संपत्ति भी प्राप्त होती है।

मिथुन लग्न के नवम भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के नवे भाव में कुंभ राशि आती है जिसका आधिपत्य शनि के पास होता है। यहां पर बैठा चंद्रमा व्यक्ति से पूजा-पाठ तो करवाता है लेकिन उसके पीछे उनका धर्म के प्रति लोभ छुपा होता है। जिसके फलस्वरूप उनको धन लाभ तो अवश्य होता है लेकिन जितना वह चाहते हैं उतना अर्जित नहीं कर पाते।

नवम भाव में बैठे चंद्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि तीसरे भाव पर पड़ती है जो व्यक्ति को पराक्रमी बनाने के साथ-साथ भाई-बहन का पर्याप्त मात्रा में सुख दिलाती है।

मिथुन लग्न के दशम भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के दशम भाव में मीन राशि आती है जिसका आधिपत्य स्वयं देव गुरु बृहस्पति करते हैं। चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति को पिता का संपूर्ण सहयोग दिलाती है। ऐसे लोग काफी सुखी और धनवान होते हैं। ये व्यवसाय में भी उन्नति करते हैं।

दशम भाव में बैठे चंद्रमा की सातवीं दृष्टि चौथे भाव पर पड़ती है जो व्यक्ति को भूमि, भवन और बाहन का सुख दिलाती है। ऐसे व्यक्तियों को माता का सुख भी पर्याप्त मिलता है।

मिथुन लग्न के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के ग्यारहवें भाव में मेष राशि आती है जिसका आधिपत्य मंगल ग्रह के पास होता है। यहां पर बैठा चंद्रमा व्यक्ति को प्रचुर मात्रा में धन लाभ कराता है और वे अपने परिवार का पर्याप्त मात्रा में सुख पाते हैं। उन्हें पैतृक संपत्ति भी प्राप्त होती है।

यहां पर बैठे चंद्रमा के साथ में मित्र दृष्टि पंचम भाव पर पड़ती है जिसके कारण व्यक्ति की विद्या उच्चतम स्तर की होती है। ऐसे व्यक्तियों को संतान का सुख मिलता है।

मिथुन लग्न के बारहवें भाव में चंद्रमा का फल

मिथुन लग्न के बारहवें भाव में वृषभ राशि होती है जिसका आधिपत्य शुक्र ग्रह के पास होता है। वृषभ राशि का चंद्रमा उच्च का हो जाता है। निश्चित तौर पर यह व्यक्ति को विदेश से धन लाभ कराता है। ऐसे व्यक्ति अगर अपने कुटुंब या जन्म स्थान से दूर जाकर कोई कार्य करते हैं तो उन्हें अधिक लाभ होता है। यहां पर बैठा चंद्रमा व्यक्ति का खर्च बढ़ा देता है।

बारहवें भाव में बैठे चंद्रमा की सातवीं नीच दृष्टि छठे भाव पर पड़ती है जिसके कारण व्यक्तियों को शत्रुओं के सामने झुकना पड़ सकता है। उन्हें मानसिक रोगों की समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि ये जरूरत से ज्यादा सोचते हैं। ऐसे लोगों को सलाह दी जाती है कि आप चिंता करना छोड़ दें।

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