बृहस्पति भगवान की कथा विधि (पूरी जानकारी)

हर सप्ताह में एक बृहस्पति वार आता है. यह बृहस्पतिवार का दिन बृहस्पति भगवान की कथा पढ़ने और व्रत करने के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है.

बृहस्पति देव को मानव के भीतर विद्या, बुद्धि का कारक माना जाता है. इनकी बृहस्पतिवार के दिन सच्चे मन से पूजा करने से धन, मान, पुत्र, स्त्री सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती हैं. सच्चे मन से जो भी बृहस्पति देव को याद करता है वह उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

आज मैं आपको बृहस्पति भगवान की कथा और व्रत करने की विधि के बारे में इस आर्टिकल में बताऊंगा. इसलिए इस आर्टिकल (Article) को अंत तक जरूर पढ़ें.

बृहस्पति भगवान की कथा विधि

बृहस्पति भगवान की कथा और व्रत 1 वर्ष में आपको 16 गुरुवार तक करनी चाहिए. कोई भी कामना लेकर आगर आप बृहस्पति भगवान की कथा और व्रत आरंभ करते हैं तो जैसे ही आप के 16 गुरुवार बीत जाएंगे आपकी वह मनोकामना पूर्ण हो जाएगी.

बृहस्पतिवार की व्रत और कथा आरंभ करते समय आपको भव्य तरीके से बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए. पीले वस्त्र का दान देना चाहिए. कुछ ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और यही काम आपको सोलहवें गुरुवार के दिन उद्यापन करते वक्त भी करना चाहिए.

बृहस्पति भगवान की कथा विधि
बृहस्पति भगवान की कथा विधि

बृहस्पतिवार व्रत कथा आरंभ करने के लिए आपको किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष का पहला गुरुवार ही चुनना चाहिए. या फिर आप अपने किसी नजदीकी पंडित जी से राय ले सकते हैं.

बृहस्पतिवार की कथा विधि

  1. बृहस्पतिवार के दिन नित्य कर्म करके हमें प्रातः काल स्नान आदि कर लेना चाहिए. प्रातः काल स्नान करने के भी अनेक लाभ होते हैं. स्नान करने के पश्चात हमें पीला वस्त्र पहनना चाहिए क्योंकि भगवान बृहस्पति को पीला रंग बहुत प्रिय होता है.

बृहस्पतिवार के दिन स्नान करते समय हमें साबुन या किसी भी प्रकार के कपड़ा धोने वाले पाउडर (Detergent) का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

  1. बृहस्पतिवार की कथा पढ़ने के लिए हमारे पास भगवान विष्णु की एक फोटो अवश्य होनी चाहिए. जिस फोटो को रखकर  हम बृहस्पतिवार की कथा  पढ़ सकें.

बृहस्पतिवार की कथा विष्णु भगवान की फोटो के समक्ष या फिर केले के पेड़ के सामने भी की जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु निवास करते हैं.

अगर आपके घर के आसपास केले का पेड़ है तो अवश्य ही आपको बृहस्पति वार की कथा केले के पेड़ के पास करनी चाहिए. उसी केले के पेड़ के पास आप भगवान विष्णु की तस्वीर भी रख सकते हैं.

  1. बृहस्पति देव का पूजन करते समय हमें एक कलश में पानी भरकर बृहस्पति देव के सामने रख देना चाहिए. उस पानी भरे कलश में हमें आम के पत्ते की टेरी को रख देना चाहिए.

आम के पत्ते की टेरी के ऊपर हमें जलता हुआ दीपक रखना चाहिए. पूजा पाठ करने से पहले कलश पर दीपक जलाना बहुत अनिवार्य होता है. बिना कलश और दीपक के पूजा संपूर्ण नहीं होती.

  1. बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु को सिर्फ पीले फूल चढ़ाने चाहिए. इसलिए कथा पढ़ने के लिए पीले फूलों का होना आवश्यक है.
  2. बृहस्पति वार के दिन भगवान विष्णु को चने की दाल, किसमिस और गुड़ का प्रसाद चढ़ाना आवश्यक होता है. आप जब भी कथा आरंभ करें उससे पहले आपको भगवान विष्णु को चने की दाल और गुण अर्पण कर देना चाहिए.

विष्णु भगवान को आप पीले फल, बेसन के लड्डू या और भी कोई पीली चीज चढ़ा सकते हैं. बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु को केले का फल चढ़ाना भी बहुत अनिवार्य होता है.

नारियल का पूजा पाठ में बहुत महत्व होता है. शास्त्रों में इसे श्रीफल का नाम दिया गया है. अगर हो सके तो हमें नारियल के ऊपर धागा लपेट कर उसे विष्णु भगवान को चढ़ाना चाहिए.

  1. कथा प्रारंभ करने से पहले हमें एक बर्तन में गाय के घी के साथ केसर और हल्दी को मिलाकर भगवान विष्णु को तिलक लगाना चाहिए. केसर और हल्दी का तिलक भगवान विष्णु के लिए बहुत महत्व रखता है.
  2. भगवान बृहस्पति की पूजा करते समय हमें उन्हें जनेऊ या यज्ञोपवीत भी चढ़ाना चाहिए. जनेऊ चढ़ाने से पहले हमें जनेऊ को हल्दी और पानी में अच्छे से डुबोकर उसे पीले रंग का कर लेना चाहिए. यज्ञोपवीत के साथ-साथ हमें भगवान को रक्षा भी चढ़ाना चाहिए.
  3. भगवान बृहस्पति की पूजा करते समय उन्हें पीले वस्त्र और दक्षिणा एक थाली में सजा का कहानी चाहिए. और पूजा संपूर्ण होने के बाद वस्त्र और दक्षिणा को हमें किसी ब्राह्मण को दान दे देनी चाहिए.
  4. हमें फिर इसके बाद हमें बृहस्पति देव की कथा पढ़नी चाहिए. अगर आप तथा पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दी गई लिंक पर जाएं.

ये भी पढ़े : बृहस्पतिवार की संपूर्ण कथा

  1. कथा पढ़ने के बाद हमें आरती अवश्य करनी चाहिए. शास्त्रों में आरती के अनेक महत्व बताए गए हैं. गुरुवार के दिन हमें बृहस्पति देव और जगदीश की आरती पढ़नी चाहिए. अगर आप भगवान बृहस्पति और जगदीश की आरती पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दी गई लिंक पर जाएं.

ये भी पढ़े : बृहस्पतिवार की सम्पूर्ण आरती

  1. कथा और आरती संपूर्ण होने के बाद हमें बृहस्पति देव के मंत्रों से हवन अवश्य करना चाहिए. हवन ना करने से कथा अधूरी रह जाती है.
  2. पूजा संपूर्ण होने के बाद हमें भगवान से क्षमा याचना अवश्य मागनी चाहिए. हमें भगवान से अनुरोध करना चाहिए की हे देव हमने आपकी सच्चे मन से पूजा की है. अगर हमसे कोई भूल हुई हो तो हमें क्षमा करें.

ऊपर दी गई विधि से हमें बृहस्पति देव की पूजा शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार के दिन करना चाहिए. अन्य दूसरे बृहस्पति बारों में हमें साधारण तरीके से पूजा करनी चाहिए.

अन्य दिनों में हमें भगवान बृहस्पति देव की फोटो के सामने दीपक जलाकर चने की दाल, गुड़ का भोग लगाकर कथा पढ़नी चाहिए. और कथा पढ़ने के बाद हमें आरती भी हर बृहस्पति वार को करना चाहिए. ऐसा करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

बृहस्पति वार की व्रत विधि

बृहस्पतिवार का व्रत करने के लिए सबसे अनिवार्य होता है कि हम उस दिन सिर्फ एक ही बार भोजन करें. हम अगर बृहस्पति वार व्रत कथा का प्रसाद भी खाते हैं तो हमें उसी समय खाना चाहिए जब हम भोजन करने जा रहे हों.

कई लोग ऐसा करते हैं कि पूजा समाप्त होते ही प्रसाद को ग्रहण कर लेते हैं और बहुत देर बाद भोजन करते हैं. पर ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए इस प्रकार खाने से व्रत का महत्व कम हो जाता है.

अगर आप ने बृहस्पतिवार का व्रत किया है तो फिर आपको नमक और किसी भी प्रकार की खट्टी चीजें नहीं खाना चाहिए. ऐसा अनिवार्य नहीं है पर फिर भी हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम बृहस्पतिवार के दिन जो भी चीज ग्रहण करें  उसका रंग पीला हो.

हमें चने की दाल से बनी रोटी या पूड़ी  गुड़ के साथ खाना चाहिए या फिर हम शक्कर भी खा सकते हैं. पर हमें दूध या दही से बनी चीजें इस दिन नहीं खानी चाहिए.

बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति देव का व्रत करने वाले व्यक्ति को केले का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दिन केले की पूजा होती है. तो पूजा करके हम किसी चीज को कैसे खा सकते हैं.

बृहस्पतिवार के दिन ना करें ये काम

  1. बृहस्पतिवार के दिन हमें बालों में तेल खासकर सरसों का पीला तेल नहीं लगाना चाहिए. और बालों को साबुन और शैंपू से धोना भी नहीं चाहिए. कई लोग बृहस्पतिवार के दिन बाल कटवाने के लिए जाते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.
  2. बृहस्पतिवार के दिन धोबी को कपड़े धोने के लिए नहीं देना चाहिए. इस दिन हमें स्वयं भी कपड़ा धोते समय साबुन या किसी भी प्रकार के कपड़े धोने वाले पाउडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  3. बृहस्पतिवार के दिन अपने नाखून नहीं काटने चाहिए. ऐसा करना बहुत बड़ा दोष माना जाता है.
  4. बृहस्पतिवार के दिन हमें अपने घर में पोंछा नहीं लगाना चाहिए.

अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी हो तो हमें कमेंट करके अवश्य बताएं.