कुंडली में कालसर्प दोष राहु और केतु की स्थिति के अनुसार बनता है। अगर राहु और केतु के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो इसे कालसर्प दोष माना जाता है।
जैसे किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी सातों ग्रह सूर्य, चंद्रमा, गुरु, शुक्र, बुध, शनि, और मंगल राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं तो इसे कालसर्प दोष कहा जाता है।
उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की मिथुन लग्न की कुंडली में लग्न में राहु और सप्तम में केतु हो और बाकी साथ ग्रह घर एक से लेकर घर सात के मध्य हो तो कालसर्प दोष बन जाता है और इस से पीड़ित जातक को कई प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं।
आज इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की कालसर्प दोष कितने होते हैं और वह कौन-कौन से हैं इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
कालसर्प दोष कितने होते है? Kaal Sarp Dosh Kitne Hote Hain
कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के आधार पर बारह कालसर्प दोष होते हैं। अलग-अलग कालसर्प दोषों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं।
1. अनंत कालसर्प दोष | Anant Kaal Sarp Dosh
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु लग्न में, केतु सप्तम भाव में हो और इन के मध्य सभी सातों ग्रह स्थित हो तो अनंत कालसर्प योग दो बनता है।
इस दोष के तहत लोगों को अपने जीवन में बहुत कठिनाइयों के बाद सफलता प्राप्त होती है। उनके मार्ग में अनेक प्रकार की बाधाएं और चुनौतियां आती हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन के सभी पहलुओं में उन जनों का सामना करना पड़ता है।
2. कुलिक कालसर्प दोष | Kulik Kaal Sarp Dosh
यदि राहु दूसरे भाव में हो और केतु अष्टम भाव में हो और सभी सातों ग्रह इन दोनों के मध्य आते हों तो कुलिक कालसर्प दोष बनता है।
इस दोष के कारण व्यक्ति को धन हानि और छल का भय रहता है। ऐसे जातक के सुख में कमी होती है। इन्हें अनेक प्रकार के अपमान सहने पड़ते हैं। ध्यान देने योग्य बात तो यह है की इनकी अपमान सहने की आदत हो जाती है।
3. वासुकी कालसर्प दोष | Vasuki Kaal Sarp Dosh
यदि राहु तीसरे भाव में हो और केतु नवम भाव में हो और इन दोनों के मध्य सभी ग्रह हों तो वासुकी कालसर्प दोष करता है।
वासुकी कालसर्प दोष का सबसे ज्यादा असर छोटे भाई बहनों के संबंध में पड़ता है। इस दोष के कारण भाई बहनों में हमेशा विवाद बना रहता है।
4. शंखपाल कालसर्प दोष | Shankhpaal Kaal Sarp Dosh
यदि राहु चतुर्थ भाव में हो और केतु दशम भाव में हो और इन दोनों के मध्य सभी ग्रहों तो शंखपाल कालसर्प दोष बनता है।
शंखपाल कालसर्प दोष बनने से जातक के रिश्ते मां के साथ थीक नहीं होते हैं और जातक घर में सुखी नहीं हो पाता। घर में उसके प्रवेश करते ही लड़ाई झगड़े शुरू हो जाते हैं।
ऐसे व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संकट हमेशा बना रहता है और सफलता पाने के लिए उसे बहुत परिश्रम करना पड़ता है।
5. पदम कालसर्प दोष | Padam Kaal Sarp Dosh
यदि राहु पंचम भाव में हो और केतु ग्यारहवें भाव में हो और सभी सात ग्रह इन दोनों के मध्य हो तो यह पदम कालसर्प दोष बनता है।
इस दोष के कारण जातक का मन पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता है वह निरंतर अनावश्यक की चीजों में इधर-उधर भटकता रहता है। कालसर्प दोष के कारण कई बार जातक की शिक्षा अधूरी भी रह जाती है।
6. महापद्मम कालसर्प दोष | Mahapadam Kaal Sarp Dosh
यदि राहु षष्ट भाव में हो और केतु द्वादश भाव में हो और बाकी सभी ग्रह इन दोनो के मध्य हों तो यह महापद्मम कालसर्प दोष बनता है।
यह कालसर्प दोष जातक के लिए थोड़ा फायदेमंद भी होता है। ऐसा जातक अपनी बुद्धि का प्रयोग करके शत्रु पर विजय पा लेता है। इस दोष के कारण जातक के घर की शांति भंग हो जाती है।
7. तक्षक कालसर्प दोष | Takshak Kaal Sarp Dosh
जब राहु सप्तम भाव में हो और केतु लग्न में हो और बाकी सभी ग्रह इन दोनों के बीच में हों तो यह तक्षक कालसर्प दोष बनाता है।
इस दोष के कारण जातक के विवाह में देरी हो सकती है। विवाह हो जाने के पश्चात जातक को दांपत्य जीवन में समस्याएं बनी रहती हैं। ऐसे व्यक्ति को पत्नी का सुख कम ही मिलता है।
8. कर्कोटक कालसर्प दोष | Karkotak Kaal Sarp Dosh
जब राहु अष्टम भाव में हो और केतु द्वितीय भाव में हो और बाकी सभी ग्रह इन दोनों के बीच में हों तो यह कर्कोटक कालसर्प दोष बनाता है।
कर्कोटक कालसर्प दोष के कारण जातक को नौकरी में अनेक प्रकार की समस्याओं से गुजरना पड़ता है। पहले तो नौकरी पाने में समस्याएं होती हैं और मिल जाने के बाद नौकरी में अनेक प्रकार की अड़चनें आने लगती है।
9. शंखचूर कालसर्प दोष | Shankhchoor Kaal Sarp Dosh
जब राहु नवम भाव में हो और केतु तृतीय भाव में हो और बाकी सभी ग्रह इन दोनों के बीच में हो तो यह शंखचूर कालसर्प दोष बनाता है।
इस दोष के कारण जातक की मनोकामना पूर्ण होने में विलंब होता है। उसको कोई भी चीज आसानी से नहीं प्राप्त होती।
10. घटक काल सर्प दोष | Ghatak Kaal Sarp Dosh
जब कभी राहु दशम भाव में हो और केतु चतुर्थ भाव में हो और अन्य बचे सभी ग्रह इन दोनों के बीच में हो तो यह घटक कालसर्प दोष बनाता है।
घटक काल सर्प दोष जातक को अहंकारी बना देते हैं। कई बार उनका यह अहंकार उनके ऊपर भारी पड़ता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष हो उसे अपनी मां की सेवा सच्ची लगन से करनी चाहिए।
11. विषधर कालसर्प दोष | Vishdhar Kaal Sarp Dosh
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ग्यारहवें भाव में हो और केतु पांचवें भाव में हो और अन्य बचे ग्रह इन दोनों के मध्य हो तो यह विषधर कालसर्प दोष बनाता है।
इस दोष के कारण जातक को अपनी पढ़ाई पूर्ण करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उसे उसकी पैतृक संपत्ति में लाभ तो होता है लेकिन उसमें लड़ाई झगड़े लगे रहते हैं।
12. शेषनाग कालसर्प दोष | Sheshnag Kaal Sarp Dosh
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु बारहवें भाव में हो और केतु छठे भाव में हो और अन्य बचे ग्रह इन दोनों के मध्य हो तो यह शेषनाग कालसर्प दोष बनाता है।
शेषनाग कालसर्प दोष जातक को उसके पेशे में अनेक प्रकार की परेशानियां देता है। ऐसे जातक को लंबे समय के लिए बेरोजगार भी रहना पड़ सकता है।
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